बंजर जमीन पर सोलर पंपों के कारण लहलहाईं फसलें, सब्जी उत्पादन में 12 लाख टन की बढ़ोतरी

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गरियाबंद में खरखरा गांव की डेरहिन बाई की डेढ़ एकड़ जमीन है, जो मानसून को छोड़कर साल में 8 माह इतनी सूखी और बंजर रहती थी कि फसल नहीं हो सकती। परिवार मुश्किल से पेट भरने के लिए ही अनाज उगा पा रहा था। लेकिन अब वही खेत 40 डिग्री गर्मी में भी सोलर पंप के वजह से लहलहा रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में एक नहीं बल्कि सैकड़ों कहानियां हैं, जो बताती हैं कि बंजर जमीन पर सोलर पंपों ने बड़ा बदलाव लाया है। ऐसे किसान जिनकी पंप लगाने लायक आर्थिक स्थिति नहीं है या फिर जिनकी खेत बंजर थे, सोलर बिजली ने उन्हें फायदा पहुंचाया है। विशेषज्ञों के मुताबिक पिछले 5 साल में प्रदेश में ऐसे ही बंजर या भर्री (कम उपजाऊ) खेतों में 1.09 लाख सोलर पंप लगे और इसी अवधि में सब्जी उत्पादन 12 लाख टन बढ़ गया है।

एक लाख से किसानों ने लगाया सोलर पंप

बिजली महकमे ने प्रदेश के दुरूह गांवों, कस्बों और बीहड़ों तक बिजली पहुंच गई है, लेकिन पंपों के बिना खेत प्यासे हैं। ज्यादातर किसान ऐसे हैं, जिन्हें बिजली कनेक्शन लेने पर लाइन अपने खेतों तक खुद पहुंचानी पड़ती है। इसका खर्च एक से डेढ़ लाख रुपए है। छोटे और सीमांत किसान यह खर्च नहीं उठा पा रहे हैं। इसीलिए एक लाख से ज्यादा किसानों ने अपने छोटे और सूखे खेतों में सोलर पंप लगा लिए, क्योंकि 5 एचपी का सोलर पंप लगाने की लागत ही आरक्षित वर्ग के किसानों के लिए 10 हजार और शेष के लिए 20 हजार रुपए (3 हजार प्रोसेसिंग फीस) है। इस वजह से खेतों में पानी की दिक्कत दूर हुई है। यहां तक कि ऐसे सभी किसान जो सोलर पंप लगाने से पहले सिर्फ मानसून में केवल खरीफ की एक फसल ही ले रहे थे, अब रबी में भी धान-गेहूं और दलहन उगा रहे हैं।

नवंबर 2016 से सोलर पंप

क्रेडा के चीफ इंजीनियर संजीव जैन ने बताया कि प्रदेश में 1 नवंबर 2016 से सोलर पंप लगाए जा रहे हैं। अब तक राज्य के 28 जिलों में 109933 पंप लग चुके हैं। क्रेडा के माध्यम से तीन और पांच एचपी के पंप लगाए जा रहे हैं। इससे न्यूनतम एक से तीन एकड़ खेत में पानी की आपूर्ति हो जाती है। 50सौ से लेकर पांच सौ और हजार एकड़ वाले किसानों के लिए ये पंप कारगर नहीं है। सब्जी ही नहीं, रबी के उत्पादन में वृद्धि की वजह यही है।

1. सब्जी उत्पादन बढ़कर 69 लाख टन

राज्य के 28 जिलों में सब्जियों का उत्पादन करीब 12 लाख टन बढ़ा है। सिंचाई सुविधाओं का विकास होने के बाद राज्य में ज्यादातर छोटे और सीमांत किसानों ने भी धान के अलावा सब्जियां उगाने में रूचि ली है। कृषि विभाग के अधीन उद्यानिकी विभाग के आंकड़े बता रहे हैं कि सोलर प्लांट लगाने की योजना शुरू होने से पहले राज्य में करीब 57 लाख टन सब्जियों का उत्पादन हो रहा था। 2020-21 में यह बढ़कर करीब 69 लाख टन बढ़ गया। यानी पांच साल में सब्जियों का उत्पादन करीब 12 लाख टन बढ़ गया।

2. गर्मी की फसलें बढ़कर 21 लाख टन

सोलर पंप लगाने के बाद छोटे-छोटे किसान भी अब रबी फसल ले रहे हैं। धान के अलावा, गेहूं, चना, अरहर, मसूर, मूंगफल्ली का उत्पादन बढ़ा है। 2014-15 में रबी फसल का उत्पादन करीब 13 लाख टन था। यह 2020-21 में लगभग 22 लाख टन हो गया है।

इसमें दलहन और मूंगफली वगैरह के उत्पादन में भी वृद्धि हुई है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक सोलर पंपों की वजह से ही प्रदेश में पिछले पांच साल में रबी का उत्पादन लगभग दस लाख टन बढ़ गया है।
बारनवापारा के किसान मनीष देवांगन, किशोर साहू, परदेसीराम साहू, शत्रुघन यादव ने बताया कि लागत कम होने की वजह से वे सोलर पंप की तरफ गए। मेंटेनेंस में गारंटी है। इसलिए बरसात में धान के बाद अब वे रबी या सब्जियां भी लगा रहे हैं।

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Dr. Kirti Sisodhia

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