AI in Agriculture: दंतेवाड़ा के किसान करेंगे स्मार्ट खेती!

AI in Agriculture: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के जैविक किसान अब अपनी खेती को और अधिक उत्पादक और स्मार्ट बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करेंगे। हाल ही में जिला पंचायत सभागार में आयोजित एक कार्यशाला में किसानों और कृषि अधिकारियों को AI तकनीक के विभिन्न उपयोगों के बारे में जानकारी दी गई।

यह पहल किसानों को सटीक कृषि (Precision Farming) की ओर ले जाएगी, जिससे न केवल उनकी आय बढ़ेगी बल्कि पर्यावरण संरक्षण और जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन में भी मदद मिलेगी।

कैसे करेगा AI किसानों की मदद?

  • फसल निगरानी और स्वास्थ्य विश्लेषण एआई आधारित सैटेलाइट इमेजिंग और ड्रोन तकनीक का उपयोग कर किसान अपनी फसल की स्वास्थ्य स्थिति, मिट्टी की गुणवत्ता और जल आवश्यकताओं का सटीक विश्लेषण कर सकेंगे।
  • रोग और कीट नियंत्रण AI मॉडल फसलों में लगने वाले रोगों और कीटों की पहचान कर समय पर समाधान प्रदान करेगा, जिससे किसानों को भारी नुकसान से बचाया जा सकेगा।
  • स्वचालित सिंचाई प्रबंधन AI सेंसर मिट्टी की नमी और मौसम की स्थिति के आधार पर स्वचालित सिंचाई को नियंत्रित करेंगे, जिससे जल संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।
  • फसल उत्पादन की भविष्यवाणी (Yield Prediction)- ऐतिहासिक डेटा और मिट्टी की गुणवत्ता के आधार पर AI फसल उत्पादन का सटीक अनुमान लगाएगा, जिससे किसान पहले से बेहतर योजना बना सकेंगे।
  • स्मार्ट मार्केटिंग और मूल्य विश्लेषण AI किसानों को मांग और कीमतों का पूर्वानुमान देकर सही समय पर अपनी फसल बेचने में मदद करेगा। इससे उन्हें बेहतर मुनाफा मिलेगा।
  • कृषि कार्यों में रोबोट्स का उपयोग बुवाई, निराई, कटाई और छंटाई जैसे कार्यों में AI रोबोट्स का उपयोग कर श्रम लागत को कम किया जा सकेगा, जिससे किसानों को अधिक लाभ मिलेगा।
  • पशुपालन में भी AI की मदद- पशुओं के स्वास्थ्य और व्यवहार की निगरानी के लिए भी AI तकनीक उपयोगी साबित होगी। यह बीमारियों का समय रहते पूर्वानुमान लगाकर पशुपालकों को सतर्क करेगा।
  • आपदा प्रबंधन में भी कारगर  AI तकनीक बाढ़ और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान लगाकर किसानों को पहले से सतर्क कर सकती है, जिससे फसल नुकसान कम होगा।

AI से खेती होगी ज्यादा स्मार्ट और टिकाऊ

इस कार्यशाला में 150 से अधिक किसानों और कृषि विशेषज्ञों ने भाग लिया। जिला प्रशासन की ओर से अलका महोबिया, सूरज पंसारी (उपसंचालक, कृषि), आकाश बढ़वे (भूमगादी संचालक), मीना मंडावी (सहायक संचालक, उद्यान) और केवीके के सहायक संचालक धीरज बघेल, भोले लाल पैकरा भी इस पहल में शामिल हुए।

AI तकनीक के इस प्रयोग से दंतेवाड़ा के जैविक किसानों को नई संभावनाएं मिलेंगी और यह मॉडल अन्य जिलों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकता है।

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Rishita Diwan

Content Writer

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