Agriculture Business Idea: सिर्फ 3 महीने में मुनाफा देती है ये खेती!

Agriculture Business Idea: भारत कृषि प्रधान देश है। भारतीय इकोनॉमी की रीढ़ कृषि को कहते हैं। यही वजह है कि आजकल कृषि के क्षेत्र में भी कई Innovation हो रहे हैं। नई तकनीकें और नए रिसर्च कृषि के क्षेत्र को उन्नत बना रहे हैं। आजकल पढ़े-लिखे युवा भी कृषि की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो Agriculture Business Idea की खोज में न हों। ऐसे ही लोगों के लिए ये Agriculture Business Idea काफी फायदेमंद होगी। इससे न सिर्फ आप कृषि के नए तरीके को जानेंगे बल्कि जल्दी से जल्दी लाभ भी कमा सकेंगे।

खरबूजा की खेती

खरबूजा (Kharbuja) अपनी मिठास के लिए काफी पसंद किया जाता है। इसका इस्तेमाल कच्चे में सब्जी और पकने पर फलों के रूप में होता है। इसके साथ ही गर्मियों में ये काफी हेल्दी भी होता है। दूसरे फलों के मुताबिक ये सस्ता होता है इसीलिए इसकी मांग भी ज्यादा होती है। खरबूजे की खेती में दो महीने में ही फूल दिखाई देने लगते हैं। बुवाई से ढाई से तीन महीने बाद खरबूजे मार्केट में बेचने लायक हो जाते हैं।

कहां होती है खरबूजे की खेती?

खरबूजे की फसल मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र, बिहार और मध्य प्रदेश के गर्म और सूखे क्षेत्रों में होती है। राजस्थान में खरबूज की खेती को काफी बड़े लेवल पर किया जाता है।  खरबूजे की खेती नदियों के किनारे की जाती है।

खरबूजा की पेटा काश्त टेक्नीक

ICAR की रिपोर्ट कहती है कि पेटा काश्त में संरक्षित जल के कम उपयोग और हाई सॉइल फर्टिलिटी के कारण खरबूजा फसल में किसी भी तरह के पेस्टीसाइड का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इससे खरबूजे को प्राकृतिक खुशबू और स्वाद मिलता है। यह तेज गर्मी में लोगों को अपनी मिठास से ताजगी का अहसास करवाती है। इसी वजह से लोग पेटा काश्त के खरबूज को आम खरबूजे से अलग और ज्यादा महत्व देते हैं।

खरबूजा बाड़ी

खरबूजा बाड़ी लगाने के लिए बांध के पानी को सूखने का इंतजार किया जाता है। जब बांध खाली हो जाता है किसान अपने खेत में उपलब्ध नमी के आधार पर जनवरी के आखिरी हफ्ते में बुवाई करना शुरू कर देता है। कुदाली से 10-15 सेमी आकार के गड्ढे बनाकर लाइन से लाइन की दूरी 4 फीट और पौधे से पौधे की दूरी 1-1.25 फीट तक रखकर बुआई की जाती है। पेटा काश्त में लाइन दक्षिण-पश्चिम दिशा में तैयार किए जाते हैं। गर्मियों में इस दिशा से तेज हवा चलती है, जो मिट्टी और नमी इरोजन करती है। इसी इरोजन को रोकने के लिए दो लाइनों के बीच स्थानीय वनस्पति सूखी सिणिया और खींप की एक लाइन इस प्रकार खड़ी की जाती है ताकि तेज हवा नमी को उड़ाकर न ले जाए।

कजरी किस्म सबसे ज्यादा फायदेमंद

‘कजरी’ किस्म सबसे ज्यादा फायदेमंद होती है। बाड़ियों में सबसे ज्यादा इसी के बीज बोये जाते हैं। इसके बीज की कई कंपनियां और किसान खुद इसे संभालकर रखते हैं। कजरी किस्म का खरबूजा गहरे हरे से लेकर हल्के भूरे रंग तक के होते हैं। इस पर काली सफेद धारियां भी होती हैं। औसतन एक फल का वजन 500 ग्राम से 1 किग्रा तक भी होता है। कम वजन और छोटे आकार की वजह से फल ज्यादा समय तक ताजा रहता है।

तीन महीने में ही मिलता है फायदा

फसल में दो महीने बाद ही यानी कि मई के आसपास फूल आ जाते हैं। बुवाई से ढाई से तीन महीने बाद खरबूजे को तोड़ सकते हैं। ये बाजार में बेचने लायक हो जाते हैं। फरवरी-मार्च में लगाई हुई खरबूजा बाड़ी से जून तक कमाई आराम से हो जाती है। ICAR के मुताबिक, खरबूजा बाड़ी लगाने वाले किसान इससे लगभग 2 लाख रुपये से ज्यादा का लाभ कमाते हैं।  

Positive सार

कृषि भविष्य की संभावनाओं से भरा है। कृषि ही नया दौर ला रही है। यही वजह है कि आजकल कृषि की तरफ लोगों का रुझान अपने आप बढ़ रहा है। कृषि में हो रहे नवाचार और नई कृषि तकनीक लोगों को अपनी ओर खींच रही है। जो नये कल की तरफ इशारा करते हैं।

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Rishita Diwan

Content Writer

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