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एक प्रसिद्ध कहावत है “जहां चाह है, वहां राह है” और इस बात को सही साबित किया है बीड जिले के पाडलिशिंगी गांव के एक किसान ने। जिन्होंने पानी की समस्या को दूर करने के लिए किसी की सहायता का इंतजार नहीं किया। उन्होंने पानी के बेहतर मैनेजमेंट को समझा और अपने ही खेत में सिंचाई के लिए एक विशाल कुएं का निर्माण कर डाला।
बीड जिले में रहने वाले मारुति बजगुड़े किसानी करते हैं। उनके पास गांव में 12.5 एकड़ जमीन है। जिसमें सिंचाई के लिए उन्हें गर्मियों में काफी परेशानी होती थी। उन्होंने इस समस्या से निपटने के लिए अपने ही खेत में एक विशाल कुआं बनवाया जिसका डाइमीटर 202 फीट है। ये कुआं 41 फीट गहरा है और इसमें 10 करोड़ लीटर पानी है। आज मारुति खुश होते हुए कहते हैं- कि ”अगर अगले दो-तीन साल सूखा रहता है तो भी उनकी ज़मीन को तीन साल तक पर्याप्त पानी मिलेगा।”
मारुति बजगुड़े ने एक वेबसाइट में दिए इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने कुएं से निकले मिट्टी (लाल मिट्टी) और काले पत्थर को सड़क बनाने के लिए दे दिया। और बचे हुए मिट्टी का निर्माण बेसमेंट के निर्माण में लगा दिया। बजगुड़े कहते हैं कि कुआं के निर्माण में उन्होंने अपनी पूरी जमा पूंजी लगा दी। और आज मेरा ये एक एकड़ का कुआं बीड जिले की पहचान बन चुका है।
मारुति बाजगुड़े कहते हैं कि- “अब उनके पास पानी है तो वह पानी वाले फलों की खेती करेंगे। फिलहाल उन्होंने आठ एकड़ की जमीन पर मौसंबी लगा चुका हूं और अब मेरे खेत को पूरे साल पानी मिल सकेगा।”
बाजगुड़े ये भी कहते हैं कुआं बनवाना काफी खर्चीला है। ऐसे में अगर कुछ किसान आपस में मिलकर इस तरह से पानी के मैनेजमेंट को समझें और इंप्लीमेंट करें तो किसानों की पानी की समस्या जड़ से खत्म हो सकती है।
ये मारुति बाजगुड़े की इच्छाशक्ति और साहस का परिणाम है कि उनके पास आज पर्याप्त पानी है। सरकार और स्थानीय किसान अगर इस तरह की तकनीक पर काम करें तो वाकई पानी की समस्या दूर हो सकती है।
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