भगवान श्री राम: हृदय का दिव्य प्रकाश

रामायण और भगवान राम हर भारतीय के दिल में बसते हैं, लेकिन क्या हम रामायण और भगवान श्री राम के जीवन के सही अर्थों को समझ पाये हैं? और अगर थोड़ा समझा भी है तो कितना जीवन में उतार पाये हैं? भारतीय ग्रंथो और उनके किरदार कितने प्रासंगिक है, कि- हर काल में उनके उदाहरण मिल जाते हैं।
 
राम मतलब रा + म, रा का अर्थ प्रकाश और म का अर्थ स्वयं, यानी स्वयं के अंदर का प्रकाश जो ख़ास है और शाश्वत हैं।
 
हमारे हृदय का, हमारी आत्मा का प्रकाश ही “राम” हैं।
 
रामायण में हर नाम का अर्थ हमारे जीवन और उनके संघर्षों से जुड़ा है।
 
भगवान श्री राम राजा दशरथ और रानी कौशल्या के पुत्र थे।
 
कौशल्या का अर्थ “कौशल” दशरथ का अर्थ जिनके पास दस रथ विध्यमान हैं। हमारा शरीर भी पंच ज्ञानेंद्रिय और पंच कर्मेंद्रिय से मिल कर बना है।
 
ईश्वर की कृपा लिए भगवान श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ उन्हें भगवान विष्णु का अवतार भी माना जाता है।
 
जैसे राम का अर्थ हृदय का प्रकाश, वैसे ही लक्ष्मण का अर्थ जागरूकता।
 
इन अर्थों का दैनिक जीवन में कितना महत्व है। ये हम तब जान पाते हैं जब इन्हें समझ के जीवन में उतारते है। और अपने अंदर के राम को जगाते हैं। सीता का अर्थ मस्तिष्क, रावण का अर्थ अहंकार जब सीता (मस्तिष्क) का वरण रावण (अहंकार) ने किया तब राम (हृदय का दिव्य प्रकाश) और लक्ष्मण (जागरूकता) ने मिलकर, अन्य लोगों की सहायता सहित, सीता को घर वापसी करवाई।
 
इस तरह की “रामायण” हम मनुष्यों के जीवन में प्रतिदिन चलती है। कभी अहंकार, कभी लालच, कभी इच्छायें, अपेक्षायें हम सभी पर हावी होती रहती है। जो हमारी तकलीफ का कारण बनती है। रामनवमी या राम का जन्म अपने अंदर के राम यानी हृदय के प्रकाश के जन्म का संदेश देता है, और जागरूकता के साथ मिल कर भगवान श्री राम के जीवन के अर्थ को सही मायनों में समझ पायेंगे आइये इस रामनवमी से अपने अंदर के राम को जागृत करें।
 
– शुभ रामनवमी।
Avatar photo

Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

ALSO READ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *