ELECTRIC VHICLE के लिए नीति आयोग ने 21 अप्रैल को बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी का ड्राफ्ट जारी कर दिया है। इसके पहले चरण में 40 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में बैटरी स्वैपिंग नेटवर्क डेवलप होंगे। और दूसरे चरण में अन्य प्रमुख शहरों में यह पॉलिसी लागू होगी। इस ड्राफ्ट के अनुसार राज्यों की राजधानी और 5 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहर इस पॉलिसी में शामिल होंगे। बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी की प्राथमिकता में वे शहर प्राथमिक होंगे, जहां टू-व्हीलर्स और थ्री-व्हीलर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है। नीति आयोग ने 5 जून तक इस मसौदे पर फीडबैक की मांग की है।
बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी के मुख्य प्रावधान
1. बिना बैटरी होगी बिक्री
ड्राफ्ट में यह सिफारिश की गई है कि इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की कीमत कम रखी जाए। और बिना बैटरी वाहन के रजिस्ट्रेशन को मंजूरी मिले। ग्राहक अपनी सुविधानुसार इनमें बैटरी लगवा सकेंगे।
2. बैटरी स्वैपिंग स्टेशन
बैटरी स्टेशन स्वैपिंग स्टेशन किसी भी लोकेशन पर लगाया जा सकेगा। इसके लिए कोई भी व्यक्ति, संस्था या कंपनी पात्र होंगे। स्वैपिंग स्टेशन पर तकनीकी खूबियां, सुरक्षा और परफॉर्मेंस के मानक लागू होंगे।
3. टैक्स
GST काउंसिल को यह सलाह दी गई है कि EV की बैटरी और पुर्जों पर टैक्स की दरों में अंतर कम किया जाए। बैटरी पर फिलहाल 18% जीएसटी है, जबकि ईवी पर सिर्फ 5% टैक्स लिया जाता है।
बैटरी-एज-अ-सर्विस मॉडल के तहत शुरू होगी बैटरी स्वैपिंग सुविधा
नीति आयोग की तरफ से कहा गया है कि बैटरी स्वैपिंग सुविधा बैटरी-एज-अ-सर्विस (बास) मॉडल के तहत शुरू की जाएगी। इसमें ईवी और बैटरी के बीच इंटरऑपरेबिलिटी सुनिश्चित होगी, ताकि एक ऐसी सफल व्यवस्था बन सके कि बैटरी स्वैपिंग वैकल्पिक सुविधा हो। इसका मतलब है कि फिक्स्ड बैटरी वाले ईवी और स्वैपेबल बैटरी वाले ईवी, दोनों तरह के वाहनों का चलन साथ-साथ बढ़े।