

भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां की 70 फीसदी आबादी किसानी पर निर्भर है। ऐसे में खेती-किसानी की नई तकनीकें भारत को नया आसमान दे रही है। और भारतीय किसान दुनियाभर में एक उन्नत किसान
बन रहे हैं। खेती में नई तकनीक और नए इनोवेशन किसानों को कमाई का एक अनोखा माध्यम दे रहे हैं। हाल ही में नए तरह के खाद से भारतीय किसान परिचित हुए हैं। यह खाद केले के तने से बनाया जा रहा है। यह खाद इतना कारगर है कि अब इससे किसानों की आय बढ़ रही है।
बन रहे हैं। खेती में नई तकनीक और नए इनोवेशन किसानों को कमाई का एक अनोखा माध्यम दे रहे हैं। हाल ही में नए तरह के खाद से भारतीय किसान परिचित हुए हैं। यह खाद केले के तने से बनाया जा रहा है। यह खाद इतना कारगर है कि अब इससे किसानों की आय बढ़ रही है।
सामान्यत: केले के तने को फेंक दिया जाता है। पर ये है बड़े काम का। आमतौर पर किसान केले के फसल से फल अलग कर केले के तने को खेत में छोड़ देते हैं। जिसकी वजह से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। पर नए शोधों से यह पता चला है कि केले के तने का खाद काफी काम का है।
कैसे बनाया जाता है केले के तने का खाद
इसखाद को बनाने के लिए पहले एक गड्ढा खोदना होता है। फिर केले के तने कोउस गढ्ढे में डाला जाता है। बाद में ऊपर से गोबर डाला जाता है और डाइकंपोजर छिड़का जाता है। कुछ दिनों बाद यह पौधा खाद में बदल जाता है। इस खाद की मदद से किसान अपनी आमदानी बढ़ा सकते हैं।
खाद के लाभ
रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करने के लिए, इस तरह की खाद का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। सरकार किसानों को इस दिशा में जागरुक कर रही है। इसके लिएकिसानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।इस जैविक खाद के प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहती है तथा उपजा हुआ अनाज प्रदूषण मुक्त होता है जिससे अनेक तरह के रोगों से बचाव होता है।यह उत्पाद किसानों के लिए आय का सबसे अच्छा स्रोत साबित हो सकता है।