कॉफ़ी से मिली बस्तर को नई पहचान



Highlights:

• बस्तर में शुरू हो चुकी है कॉफी की खेती
• 5100 एकड़ में की जा रही है कॉफ़ी की खेती

अक्सर बस्तर को नक्सलियों के आतंक की वजह से जाना जाता था। लेकिन अब बस्तर अपनी नई पहचान बना रहा है। दरअसल बस्तर में कॉफी की खेती की जा रही है। पहले बस्तर में केवल 22 एकड़ में ही खेती की जाती थी। लेकिन अनुकूल जलवायु और संसाधनों की वजह से अब इसे बड़े पैमाने पर किया जा रहाह है। अब बस्तर में कॉफ़ी की खेती 5100 एकड़ में फैल गयी है। कॉफ़ी का उत्पादन बढ़ने के कारण इसका कमर्शियल प्रोडक्शन भी होगा। रायपुर और दिल्ली में तो बस्तर कैफ़े खोलने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।

कैसे हुई कॉफ़ी उगाने की शुरूआत

केपी सिंह जो की कॉलेज ऑफ हॉटीकल्चर और रिसर्च स्टेशन के प्रोफेसर हैं, उन्होंने बस्तर में कॉफी की खेती के लिए काम करना शुरू किया। उनके अनुभव से 2016 में जब बस्तर में मौसम की फसल हुई तो पता चला था कि औसत दो डिग्री का परिवर्तन आया है। जो की कॉफी के खेती के लिए अच्छी होती है। नए रिसर्च के बाद नर्सरी में गैर परंपरागत तारीके से कॉफी को लगाया गया। 2017 में नर्सरी के 22 एकड़ जमीन पर कॉफी लगाये गए। प्रोडक्शन ज्यादा होने पर इसे दरभा के 55 एकड़ में फेला दिया गया है।

बस्तर में पांच तरह के कॉफ़ी का उत्पादन

बस्तर में अरेबिका और रोबस्टा के पांच किस्म की कॉफ़ी तैयार की जा रही है। इसमें सैम रमन , चंद्रगिरि, सकलेसन -8, सकलेसन -9, और सी आर शामिल है। इन थिस कॉफ़ी 11.08-13.85 प्रोटीन , कैफीन कंटेंट 0.52 से 0.63 फीसदी है। च्लोरोजेनिक एसिड 5.86- 6.22, कैलोरी 396.05 से 432 ग्राम। बस्तर की कॉफ़ी को कॉफ़ी बोर्ड ऑफ़ इंडिया ने भी सर्टिफाइड किया है। इसे 6.5 ग्रेड दिया गया है। एशिया में इसे प्रमाणित कराने की तैयारी की जा रही है।

Avatar photo

Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

ALSO READ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *