देश का सबसे बड़ा सोलर प्रोजेक्ट, चरोदा के सोलर प्लांट से चलेंगी ट्रेनें



Highlights:

• 50 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा
• छत्तीसगढ़ से बिजली यूपी और कर्नाटक भेजने पर विचार किया जा रहा है
• 1.5 लाख सोलर पैनल लगे है

राजधानी से 18 किलोमीटर दूर चरोदा में 77 एकड़ मैदान पर रेलवे का देश में सबसे बड़ा सोलर पावर प्रोजेक्ट बनाया जा रहा है जो 95 प्रतिशत तैयार किया जा चुका है। इस जून के आखिरी में लॉन्च करने की तैयारी की जा रही।

बिजली यूपी और कर्नाटक भेजने पर विचार

यहां रोजाना 50 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। इसका इस्तेमाल स्टेशन में पावर सप्लाई के साथ-साथ ट्रेन चलाने में भी किया जाएगा। रेलवे को छत्तीसगढ़ से बिजली अन्य राज्यों की तुलना में कम रेट पर मिलती है, यहां से बिजली यूपी और कर्नाटक भेजने पर विचार किया जा रहा है। रेलवे, करीब 4 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से छत्तीसगढ़ पावर कंपनी से बिजली खरीद रहा है। जरुरत पड़ने पर छत्तीसगढ़ में भी सोलर प्लांट में बनने वाली बिजली का इस्तेमाल किया जा सकता है। सोलर सिस्टम से पैदा हुई बिजली को स्टेशन तक पहुंचाने के लिए 220 केवी लाइन को चरोदा रेलवे स्टेशन तक पहुंचा दिया गया है।

रायपुर और जांजगीर में भी सोलर प्रोजेक्ट के लिए जमीन की तलाश

रेलवे रायपुर में डब्ल्यूआरएस कॉलोनी और जांजगीर चांपा में भी सोलर प्लांट लगाने के लिए जमीन तलाश रहा है। रेल मंत्रालय द्वारा सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने और कोयले के विकल्प के तौर पर इसका इस्तेमाल करने के निर्देश जारी किए गए हैं। रेलवे की एजेंसी आरईएमसीएल इसी दिशा में शहरों में सर्वे कर रही है।

यह प्रोजेक्ट 200 करोड़ का है । इसमें 1.5 लाख सोलर पैनल लगे है जिससे 50 मेगावॉट रोज उत्पादन होगा।

रेलवे को बिजली में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य

अक्षय ऊर्जा प्रोजेक्ट के तहत रेलवे देशभर में अपनी खाली जमीन का इस्तेमाल सोलर प्लांट लगाने में कर रहा है ताकि बिजली के मामले में रेलवे जल्दी से जल्दी आत्मनिर्भर हो सके। चरोदा के प्रोजेक्ट में सोलर प्लांट के जरिए डीसी (डायरेक्ट करंट) बिजली पैदा होगी, जो एसी (अल्टर्नेटिव करंट) में कंवर्ट होगी। सोलर से 33 केवी पावर जनरेट होगा जिसे 220 केवी में कंवर्ट कर के इस्तेमाल किया जाएगा। रेलवे ने मध्यप्रदेश के बीना स्टेशन के पास भी अपनी खाली जमीन पर 1.7 मेगावॉट क्षमता का सोलर प्लांट लगाया है। इससे पैदा हो रही बिजली से ट्रेन चलाई जा रही है। अफसरों का दावा है कि इस प्लांट के शुरू होने से हर साल 210 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी, जो एक लाख पेड़ लगाने के बराबर है।

बिजली बनाने में कार्बन उत्सर्जन की मात्रा

कोयले से 1 यूनिट बिजली उत्पादन में 0.85 किलो कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण में रिलीज होती है। इस तरह, 1 मेगावॉट बिजली बनाने में 16 लाख तो 50 मेगावॉट में 8 करोड़ यूनिट गैस प्रतिवर्ष रिलीज होगी। सोलर प्लांट लगाकर बिजली बनाने से 6.80 करोड़ किलो कार्बन के उत्सर्जन को रोक सकते हैं। राज्य सरकार भी सोलर प्लांट को लगातार प्रोत्साहित कर रही है।

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Dr. Kirti Sisodia

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