CJI’S DECISION: सुनवाई के लिए बनी नई बेंच, फ्री के चुनावी वादों से मिलेगा छुटकारा!



CJI: चुनावों में की जाने वाली मुफ्त के स्कीम्स पर 26 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें मुफ्त चुनावी वादों पर रोक लगाने की मांगों पर विचार किया गया। इस सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस एनवी रमना ने मामले को नई बेंच में भेजा। सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि इसके लिए कमेटी बनाई जा सकती है, जानते हैं क्या है इस कमेटी की परिभाषा और क्या आम जन को इसका फायदा मिलेगा..

CJI रमना ने कहा कि इस केस में विस्तृत सुनवाई की आवश्यक्ता है। और इसे गंभीरता से लेना जरूरी है। वहीं फैसला सुनाने के बाद CJI ने याचिकाकर्ता का धन्यवाद भी किया, जिस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि हम आपको मिस करेंगे। नई बेंच में अगले चीफ जस्टिस समेत 3 जज शामिल होंगे और आगे की सुनवाई को करेंगे।

CJI सुनवाई में क्या हुआ?

फ्रीबीज के इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना की अगुआई वाली जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस हिमा कोहली की तीन सदस्यीय बेंच में हुई 3 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कहा गया कि फ्रीबीज मुद्दे पर फैसले के लिए एक समिति का गठन होना चाहिए। इसमें केंद्र, राज्य सरकारें, नीति आयोग, फाइनेंस कमीशन, चुनाव आयोग, RBI, CAG और राजनीतिक पार्टियां शामिल हो सकती हैं।

इसके बाद 11 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘गरीबों का पेट भरने की जरूरत है, लेकिन लोगों की भलाई के कामों को संतुलित रखना भी जरूरी है, क्योंकि फ्रीबीज की वजह से इकोनॉमी पैसे गंवा रही है। कमेटी ने कहा कि वे इस बात से सहमत हैं कि फ्रीबीज और वेलफेयर के बीच फर्क है।

17 अगस्त 2022 कोर्ट ने कहा, ‘कुछ लोगों का कहना है कि राजनीतिक पार्टियों को वोटर्स से वादे करने से नहीं रोका जा सकता है लेकिन अब ये तय करना होगा कि फ्रीबीज क्या है। क्या सबके लिए हेल्थकेयर, पीने के पानी की सुविधा…मनरेगा जैसी योजनाएं, जो जीवन को बेहतर बनाती हैं, क्या उन्हें फ्रीबीज माना जाए या नहीं। कोर्ट ने इस मामले के सभी पक्षों से अपनी राय मांगी।

23 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की और केंद्र से पूछा कि आप सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुलाते हैं? क्योंकि राजनीतिक दल ही इसके लिए सब तय करेंगे।

याचिका में क्या है

भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने जनहित याचिका दायर कर मांग की है कि चुनाव में उपहार और सुविधाएं मुफ्त बांटने का वादा करने वाले दलों की मान्यता रद्द होनी चाहिए। कोर्ट ने याचि और सुझाव देने के लिए कोर्ट की तरफ से कपिल सिब्बल को आमंत्रित किया था।

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Dr. Kirti Sisodia

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