Self-love: मेडिटेशन में ध्यान भटकना सामान्य बात, पूरी तरह कॉन्सन्ट्रेशन के लिए अपनाएं टिप्स!



अक्सर ये कहा जाता है कि मेडिटेशन करना हर किसी के बस की बात नहीं होती है। इसमें आंखें बंद करके धीरे-धीरे सांस लेनी पड़ती है, जो हमारी व्यस्त लाइफस्टाइल की वजह से काफी मुश्किल नजर आती है। हालात ये हैं कि लोग 10 से 20 मिनट भी स्थिर नहीं बैठ पाते हैं। इससे गुस्सा और निराशा की भावनाएं बढ़ जाती हैं। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसा महसूस करना एकदम सामान्य है। डिसट्रैक्ट होना फेलियर नहीं है।

डिसट्रैक्ट हों तो कर सकते हैं मेडिटेशन

विशेषज्ञों का कहना है कि डिसट्रैक्शन और फ्रस्टेशन के बावजूद भी मेडिटेशन करना चाहिए। इसके फायदे नकारात्मक भावनाओं से ज्यादा इंपॉर्टेंट होते हैं। मेडिटेशन के छोटे-छोटे सेशंस भी आपकी एंग्जाइटी और डिप्रेशन के लक्षणों को खत्म या कम कर सकते हैं। साथ ही आपके ध्यान को नियंत्रित करने में मददगार साबित हो सकते हैं।

मेडिटेशन की शुरुआत करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन एक्सपर्ट्स के टिप्स आपके काम आ सकती है-

फेलियर से सीखें

मेडिटेशन की शुरुआत में ही आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप बार-बार डिसट्रैक्ट होंगे, फेल हों। मेडिटेशन को लेकर एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इस दौरान दिमाग में नकारात्मक ख्यालों का आना स्वाभाविक है। गुड या बैड मेडिटेशन जैसी कोई चीज नहीं होती है।

अगर 10 सेकंड के लिए भी आपका ध्यान भटक जाता है तो खुद को इसके लिए माफ करना सीखें। अपने आप से कहना चाहिए- मैं खुश रहूं, स्वस्थ रहूं, पीड़ा न हो आदि।

माइंडफुल और मेडिटेशन एक नहीं

माइंडफुलनेस और मेडिटेशन एक दूसरे से संबंध रखते हैं ये लेकिन समान नहीं हैं। एक समय पर एक चीज के लिए अपना पूरा ध्यान केंद्रित करने को माइंडफुलनेस कहा जाता है। इसके लिए हमेशा मेडिटेशन किया जाए, यह जरूरी नहीं। जैसे कि- ब्रश करते वक्त दो मिनट खुद पर फोकस करना भी माइंडफुलनेस है।

माइक्रो-मेडिटेशन हो सकता है लाभदायक

आजकल मेडिटेशन के ऐप्स पर 10, 20 और 30 मिनट के सेशंस मिल जाते हैं, लेकिन यह बिगनर्स के लिए मुश्किल हो सकते हैं। अगर आप सिर्फ 3 से 5 मिनट से भी शुरूआत करते हैं, तो भी मेडिटेशन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। यह एक तरह का स्किल है, जो समय के साथ बेहतर होता है।

जब भी, जहां भी मन हो करें मेडिटेशन

मेडिटेशन के बेनेफिट्स लेने के लिए आपको हमेशा एक जगह बैठने की आवश्यक्ता नहीं है। आप नेचर में, घर से बाहर निकलकर भी मेडिटेशन की प्रैक्टिस कर सकते हैं। प्रकृति में पैदल चलना और जानवरों को नोटिस करना भी एक तरह का मेडिटेशन ही है। साथ ही योगा और ताई चाई, जिसमें पूरे शरीर का मूवमेंट होता है, वह भी एक तरह का मेडिटेशन है।

बोरिंग मेडिटेशन को इंट्रेस्टिंग बनाएं

मेडिटेशन करते समय बोर होना सामन्य है। इंट्रेस्टिंग बनाने के लिए चिड़ियों की आवाज सुनें, हवा से बालों को हिलता हुआ महसूस करें या सांस लेने ध्यान केंद्रित करें। हम बोर होते ही अपने फोन को चेक करने के आदी हैं, लेकिन दूसरी गतिविधियों से जिज्ञासा लाएंगे तो मेडिटेशन लंबे समय तक कर सकेंगे।

एक्सपर्ट की लें मदद

काफी लोग मेडिटेशन और माइंडफुलनेस का अभ्यास करते समय स्ट्रगल के दौर से गुजरते हैं। इसके लिए आप एक्सपर्ट की हेल्प ले सकते हैं। ये आपको कॉगनिटिव बिहेवियरल थैरेपी की सलाह देते हैं। साथ ही आपको किसी मेडिटेशन ग्रुप से जुड़कर भी मदद मांग सकते हैं।

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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