Shankaracharya swami swaroopanand saraswati: 11 सितंबर को ज्योतिर्मठ बद्रीनाथ और शारदा पीठ द्वारका के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का 98 साल की आयु में निधन हो गया। उन्होंने मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में अपनी देह को त्याग दिया। स्वरूपानंद सरस्वती हिंदुओं के सबसे बड़े धर्मगुरु थे। शंकराचार्य (Shankaracharya) के शिष्य ब्रह्म विद्यानंद के अनुसार स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को सोमवार को शाम 5 बजे परमहंसी गंगा आश्रम में समाधि दी जाएगी। स्वामी शंकराचार्य (Shankaracharya) वे संत थे जिन्होंने आजादी की लड़ाई में जेल की सजा काटी और राम मंदिर निर्माण के लिए लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती
शंकराचार्य श्री स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (Shankaracharya swami swaroopanand) का जन्म मध्यप्रदेश के सिवनी जिले के दिघोरी गांव में हुआ था। वे एक सनातनी ब्राह्मण परिवार में जन्में थे। स्वामी शंकराचार्य (Shankaracharya) के माता-पिता ने बचपन में इनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा था। स्वामी शंकराचार्य (Shankaracharya) ने धर्म की यात्रा के लिए सिर्फ 9 साल की आयु में अपना घर छोड़ दिया था। इस दौरान वो काशी पहुंचे और यही उन्होंने ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज से वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा ग्रहण की।
देश की आजादी में भी स्वामी शंकराचार्य का योगदान
साल 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत हो चुकी थी। तब स्वामी स्वरूपानंद की उम्र 19 साल थी। उन्होंने देश की आजादी के आंदोलन में भी भाग लिया। तब स्वामी शंकराचार्य (Shankaracharya) क्रांतिकारी साधु के रूप में प्रसिद्ध हुए। उन्हें वाराणसी में 9 महीने और मध्यप्रदेश की जेल में 6 महीने कैद की सजा भी दी गई।
1981 में शंकराचार्य की उपाधि
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती 1950 में दंडी संन्यासी बनाए गए थे। ज्योर्तिमठ पीठ के ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती से दण्ड सन्यास की दीक्षा उन्होंने ली और स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती नाम से प्रसिद्ध हुए। उन्हें साल 1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली।
पीएम मोदी ने जताया दुख
पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (Shankaracharya Swami Swaroopanand Saraswati) के निधन पर शोक जताते हुए उनके अनुयायियों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की है। गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने भी संवेदना प्रकट करते हुए कहा- सनातन संस्कृति व धर्म के प्रचार-प्रसार को समर्पित उनके कार्य हमेशा याद किए जाएंगे। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने ट्वीट कर कहा- शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती सनातन धर्म के शलाका पुरुष एवं सन्यास परम्परा के सूर्य थे।