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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 7 अक्टूबर को डिजिटल करेंसी पर कॉन्सेप्ट पेपर जारी कर दिया है। जिसके बाद सेंट्रल बैंक ने कहा है कि वह जल्द ही ई-रुपया लॉन्च कर देगा। भारत ऐसा करने वाला यह दुनिया का पहला बड़ा देश होगा।
फिलहाल दुनिया के 11 देश डिजिटल करेंसी को लॉन्च कर चुके हैं। लेकिन, इन देशों की तुलना में भारत कहीं बड़ा देश है। डिजीटल करेंसी जारी करने वाले देशों में बहामास, जमैका, नाइजीरिया और ईस्टर्न कैरिबियन के आठ देश शामिल हैं। बता दें अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में इस पर फिलहाल रिसर्च चल रही है।
आरबीआई की तरफ से कहा गया है कि वह भारत में पायलट आधार पर डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) लॉन्च करने वाला है। पायलट प्रोजेक्ट में ई-रुपी का इस्तेमाल कुछ खास स्थितियों में होगा। ऐसा भी कहा जा रहा है कि डिजिटल करेंसी को सबसे पहले थोक कारोबार के लिए उपयोग में लाया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के लिए देश के 4 सरकारी बैंकों भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा का चयन किया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को पेश बजट के दौरान डिजिटल करेंसी का जिक्र किया था।
क्या होगी डिजीटल करेंसी की वैल्यु?
डिजीटल करेंसी एक सॉवरेन पेपर करेंसी के समान है, लेकिन इसका एक अलग ही रूप है। e₹ यानी डिजिटल करेंसी की वैल्यू भी मौजूदा करेंसी के जितनी ही होगी। इसे भी फिजिकल करेंसी की तरह ही एक्सेप्ट किया जा सकेगा। CBDC केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट पर लायबिलिटी के रूप में होगा।
ई-रूपी से जेब में नगदी पास में रखने की जरूरत नहीं होगी। इसे मोबाइल वॉलेट की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही इसे रखने के लिए बैंक खाते की अनिवार्यता भी नहीं पड़ेगी। कैशलेस पेमेंट इसका जरिया होगा।
डिजिटल करेंसी आम लोगों के लिए कितना फायदेमंद?
डिजिटल करेंसी से सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत कम होगी। जैसे UAE में एक वर्कर को सैलरी का 50% हिस्सा डिजिटल मनी के रूप में ही मिलता है। इससे ये लोग अन्य देशों में मौजूद अपने रिश्तेदारों को आसानी से और बिना ज्यादा शुल्क दिए पैसों का आदान-प्रदान कर सकेंगे।