

दुनिया में पहली बार लैब में विकसित खून लोगों को चढ़ाने में सफलता पाई गई है। यह सफलता ब्रिटेन में हुए क्लीनिकल ट्रायल में मिली है। कैम्ब्रिज और ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी सहित कई संस्थानों के साइंटिस्ट इसके ट्रायल में शामिल थे। विशेषज्ञों का कहना है कि ब्लड डिसऑर्डर्स और दुर्लभ ब्लड टाइप वाले लोगों के इलाज करवाने में मदद मिलेगी।
लैब में तैयार हुआ है खून
लैब में तैयार इस खून बनाने की प्रक्रिया में रेड ब्लड सेल्स (लाल रक्त कोशिका) पर फोकस किया गया है। यह फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर उसे शरीर के हर अंग तक पहुंचाने का काम करते हैं। वैज्ञानिक सबसे पहले एक व्यक्ति के खून का नॉर्मल डोनेशन करवाते हैं। इसकी मात्रा लगभग 470 मिलीलीटर है।
फिर चुंबक के जरिए सैंपल से उन स्टेम सेल्स को अलग कर यही, आगे जाकर रेड ब्लड सेल्स में तैयार हो जाते हैं। स्टेम सेल बोन मैरो में तीन अहम सेल- रेड ब्लड सेल, व्हाइट ब्लड सेल और प्लेटलेट्स तैयार होते हैं।
अगले स्टेप में वैज्ञानिक स्टेम सेल्स को लैबोरटेरी में भारी संख्या में विकसित करते हैं। इसके बाद इन्हें रेड ब्लड सेल्स में कन्वर्ट होने के लिए गाइड करते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में करीब 3 हफ्ते लग जाते हैं। इस दौरान 5 लाख स्टेम सेल्स से 50 अरब रेड ब्लड सेल्स तैयार होते हैं। इनसे 15 अरब रेड ब्लड सेल्स को फिल्टर करते हैं जो ट्रांसप्लांट में काम आ सकते हैं।
रिसर्चर्स के मुताबिक रिसर्च में फिलहाल 2 लोगों को शामिल किया गया है। हालांकि, पूरा ट्रायल 10 सेहतमंद लोगों पर होना बाकी है। इन्हें 4 महीने के अंतराल में 5 से 10 मिलीलीटर के दो ब्लड डोनेशन दिया जाएगा। इनमें से एक नॉर्मल ब्लड होगा और दूसरा लैब में तैयार खून। लैब वाले खून में रेडियोएक्टिव सब्स्टेंस भी मौजूद है, जिससे उसकी परफॉर्मेंस को ट्रैक किया जा रहा है।