

टेरर फंडिंग यानी कि आतंकवाद के लिए पैसों के फंड को रोकने के लिए देश की राजधानी दिल्ली में ‘नो मनी फॉर टेरर’ सम्मेलन की शुरूआत हुई। इस सम्मेलन में आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के तरीकों पर चर्चा की जा रही है। इस दो दिवसीय ग्लोबल मीटिंग में 75 देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इस सम्मेलन में चीन ने भाग नहीं लिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद के वित्तपोषण से मुकाबले के लिए मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया से जब तक आतंकवाद का खात्मा नहीं हो जाता, तब तक भारत चैन से नहीं रहेगा।
पीएम मोदी के संबोधन की खास बातें
आतंकवाद के खिलाफ लड़ना और आतंकी के खिलाफ लड़ना दोनों अलग-अलग हैं। आतंकवाद का दीर्घकालिक प्रभाव गरीब और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर ज्यादा पड़ता है।
आतंकवाद एक वैश्विक खतरा है, जो मानवता, स्वतंत्रता और सभ्यता पर प्रहार करता है। आतंकवाद की कोई सीमा नहीं है, केवल एक समान, एकीकृत और जीरो टॉलरेंस का दृष्टिकोण ही आतंकवाद को हराने में सक्षम है।
नो मनी फॉर टेरर सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा कि जब तक आतंकवाद का सफाया नहीं होता तब तक हम चैन से नहीं रहेंगे।
आतंकवाद मानवता के लिए खतरा है। भारत लंबे समय से आतंकवाद को झेल रहा है। हमें आतंकवाद के खतरे से सावधान रहने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे देश ने आतंक की भयावहता का सामना पहले भी कई बार किया है। दुनिया ने इसे गंभीरता से लिया। दशकों से विभिन्न रूपों में आतंकवाद ने भारत को नुकसान पहुंचाने की कई कोशिशें की है। लेकिन हमने आतंकवाद का बहादुरी से सामना किया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार दो दिवसीय आयोजित इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले देशों और संगठनों को आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण को रोकने पर विचार-विमर्श किया जाएगा। साथ ही मौजूदा अंतरराष्ट्रीय शासन की प्रभाव क्षमता के साथ-साथ उभरती चुनौतियों के समाधान व आवश्यक कदमों पर भी बातचीत करने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करेगा। बता दें यह तीसरा मंत्री स्तरीय सम्मेलन है। इससे पहले यह सम्मेलन अप्रैल 2018 में पेरिस में और नवंबर 2019 में मेलबर्न में आयोजित हुआ था।
पीएमओ से मिली जानकारी के अनुसार राजधानी दिल्ली में आयोजित सम्मेलन में पूर्व के सम्मेलनों के अनुभव और सीख को आगे बढ़ाये जाने पर प्रयास किया जाएगा और आतंकवादियों को वित्त से वंचित करने तथा वैश्विक सहयोग बढ़ाने की दिशा में भी विचार-विमर्श होगा। इस सम्मेलन में दुनिया भर के लगभग 450 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इनमें मंत्री, बहुपक्षीय संगठनों के प्रमुख और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख शामिल हुए।

