Organic Corridor Scheme: पिछले कुछ सालों में पेस्टीसाइड, बाजार के खाद और कैमिकल्स ने जमीन को बंजर बनाना शुरू कर दिया है। रासायनिक उर्वरक-कीटनाशकों के बढ़ते इस्तेमाल ने ना सिर्फ खेती में, बल्कि लोगों की सेहत को भी हानि पहुंचाने का काम किया है। लगातार खेतों की उपजाऊ शक्ति कम होती जा रही है, जिससे फसलों का उत्पादन बेहद कम हुआ है।
इस समस्या का एक हल है जैविक खेती की तरफ राह अख्तियार करना। हाल के दिनों में जैविक खेती से होने वाले फायदों के बारे में लोगों ने समझना शुरू किया है और अब किसानों को जैविक खेती (Organic Farming) की तरफ बढ़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारें कई योजनाएं भी चला रही है। इसके तहत ट्रेनिंग और आर्थिक मदद का भी प्रावधान किया गया है।
जैविक कॉरिडोर योजना(Organic Corridor Scheme)
बिहार में एक ऐसी ही योजना सरकार के द्वारा चलाई जा रही है। जिसका नाम है जैविक कॉरिडोर योजना(Organic Corridor Scheme)। यहां के किसान इस योजना से जुड़कर प्रति एकड़ में जैविक खेती के लिए 11,500 रुपये की आर्थिक सहायता ले सकते हैं। साथ ही अपने जैविक उत्पाद बेचने के लिए ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन का भी लाभ उन्हें मिलेगा। इस योजना का लाभ लेकर एक तरफ खेती की लागत को कम करने में मदद होगी, तो वहीं ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन की तर्ज पर जैविक कृषि उत्पादों को भी अच्छे दाम पर बेचने का विकल्प मिलेगा। सरकार के इस कदम से किसानों को आमदनी में भी बढ़ोत्तरी होगी।
इस स्कीम के तहत जैविक खेती करने के लिए राज्य के किसानों को 11500 रुपये तक का अनुदान मिलता है। जैविक कॉरिडोर योजना के नियमों के अनुसार कोई भी किसान अधिकतम 2.5 एकड़ में खेती के लिए अनुदान का पात्र होगा। यानी कि जैविक खेती के जरिए फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसान 28,750 रुपये तक की आर्थिक सहायता ले सकता है।
अनुदान के लिए पात्र किसान
इस जैविक कॉरिडोर योजना के तहत जैविक खेती करने के लिए हर किसान को अनुदान नहीं दिया जाता है, बल्कि 25 सदस्यों वाले किसान उत्पादक संगठन (FPO/FPC) या 25 एकड़ में फैले क्लस्टर में शामिल किसानों को ही अनुदान और सर्टिफिकेशन मिलता है। नियमानुसार, अनुदान के कुल 11,500 रुपये प्रति एकड़ की रकम से 6,500 रुपये का नेशनल प्रोग्राम ऑर आर्गेनिक प्रोडक्शन (NPOP) का प्रमाणित खाद और प्लास्टिक का ड्रम लेना होता है, बाद में शेष बची 5,000 रुपये से वर्मी कंपोस्ट प्लांट भी लगाना पड़ता है ताकि जैविक खेती के लिए बाहर से खाद ना खरीदने पर खर्च किसानों को न करना पड़े।