अमेरिका की लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लैब के वैज्ञानिकों ने ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ी कामयाबी हासिल की है। उन्होंने न्यूक्लियर फ्यूजन एनर्जी की मदद से भविष्य में क्लाइमेट चेंज से लड़ने का रास्ता ढूंढ लिया है। यह ऊर्जा पूरी तरह साफ, सुरक्षित और असीमित भंडार मानी जाती है।
एक्सपेरिमेंट में मिली कामयाबी क्या है?
दरअसल, दो तरह के न्यूक्लियर रिएक्शन से ऊर्जा पैदा होती है- पहला न्यूक्लियर फिजन और दूसरा न्यूक्लियर फ्यूजन। फिजन पर आधारित पावर प्लांट्स 1950 के दशक से मौजूद हैं, लेकिन रिसर्चर्स सालों से न्यूक्लियर फ्यूजन से ऊर्जा पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। एनर्जी का यह सोर्स बेहद साफ और सुरक्षित होता है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे हमारी फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता खत्म हो जाएगी, जिससे क्लाइमेट चेंज में कमी आएगी। अमेरिकी रिसर्चर्स ने जो प्रयोग किया है, उसमें एक ऐसा न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्टर बनाया गया है, जो खपत की तुलना में ज्यादा ऊर्जा का उत्पादन करता है। ऐसा दुनिया में पहली बार हुआ है।
न्यूक्लियर फिजन और फ्यूजन में क्या अंतर है?
फिजन और फ्यूजन, दोनों ही प्रोसेस में एटम (परमाणु) के न्यूक्लियस में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन की बाइंडिंग एनर्जी इस्तेमाल होती है। इन दोनों में अंतर यह है कि फिजन में एक न्यूक्लियस दो छोटे न्यूक्लियस में बंट जाता है। वहीं, फ्यूजन में दो छोटे न्यूक्लियस मिलकर एक बड़ा न्यूक्लियस बनाते हैं।
उदाहरण के लिए, न्यूक्लियर फिजन रिएक्टर में यूरेनियम का उपयोग होता है। न्यूट्रॉन रेडिएशन से एक्सपोज होने के बाद इसके एटम बंटकर बेरियम और क्रिप्टन जैसे एलिमेंट्स में बदल जाते हैं। ये एक चेन रिएक्शन होती है। यह ऊर्जा पानी उबालने के लिए, भाप प्रोड्यूस करने के लिए और बिजली उत्पादन के लिए इस्तेमाल होती है।
वहीं, न्यूक्लियर फ्यूजन वह प्रक्रिया है जिसके जरिए सूर्य और बाकी तारे एनर्जी पैदा करते हैं। सूरज के केस में हाइड्रोजन के दो एटम एक दूसरे से जुड़कर एक हीलियम एटम बनाते हैं। नई खोज के मुताबिक हम इसी प्रोसेस को दोहराकर कमर्शियल पावर प्लांट्स में इस्तेमाल कर सकते हैं। फिजन के बायप्रोडक्ट हजारों साल तक रेडियोएक्टिव बने रहते हैं, लेकिन फ्यूजन में ऐसा नहीं होता।
दुनिया की 10% ऊर्जा फिजन से आती है
फिलहाल भारत समेत दुनिया के 50 से ज्यादा देश न्यूक्लियर फिजन एनर्जी का इस्तेमाल करते हैं। 440 रिएक्टर से विश्व की 10% ऊर्जा की पूर्ति होती है। 92 रिएक्टर के साथ अमेरिका दुनिया में न्यूक्लियर पावर का प्रोडक्शन करने वाला नंबर एक देश है। इसके न्यूक्लियर पावर प्लांट्स विश्व की 30% बिजली पैदा करते हैं।
10 साल में फ्यूजन एनर्जी होगी फायदेमंद
फ्यूजन एनर्जी 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस या उससे ज्यादा तापमान पर पैदा होती है। अमेरिकी रिसर्चर्स ने भी सूर्य की तरह भारी तापमान में फ्यूजन एनर्जी का उत्पादन किया। एक बार फ्यूजन एनर्जी मार्केट में आने के बाद हमें बिना किसी रेडियोएक्टिव बायप्रोडक्ट के कार्बन-फ्री इलेक्ट्रिसिटी मिल सकेगी। दुनिया के बड़े बिजनेसमैन जैसे जेफ बेजोस और बिल गेट्स ने भी इस टेक्नोलॉजी में निवेश किया है। पिछले एक साल में ही 230 अरब रुपए का निवेश हुआ है। साल 2030 के बाद इससे दुनिया में बिजली का उत्पादन मुमकिन है।