पूजा के लिए फ्रेश फूल घरों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी ली है बेंगलूरु की दो युवा लड़कियों ने। जिनके बिजनेस आइडिया से अब वे 8 करोड़ रुपए सालाना कमा रही हैं। यशोदा और रिया दो बहनें हैं जिन्हें ये आइडिया तब आया जब उनकी मां पूजा के लिए फ्रेश फूल नहीं मिलने की शिकायत करती थीं। यशोदा और रिया ने ताजे फूलों को पैक कर लोगों के लिए पूजा करने के लिहाज से ताजे फूलों को पहुंचाने की शुरूआत की।
सब्सक्रिप्शन बेस्ड पूजा के फूलों का यूनिक आइडिया
बेंगलुरु की बहनों की यह कंपनी सब्सक्रिप्शन बेस्ड पूजा के फूलों का बिजनेस चलाती हैं। फ्रेश फूलों का यह बिजनेस मॉडल गुलाब से लेकर गेंदा और लोटस तक हर रोज घर पर फूलों की डिलीवरी करने का काम करता है। ठीक वैसे ही जैसे घर पर दूध का पैकेट या न्यूज़पेपर आते हैं। 10 लाख रुपए के शुरूआती निवेश वाला यह स्टार्टअप सालाना 8 करोड़ रुपए कमा रही है।
पुराने फ्लावर मार्केट को दिया नए इनोवेशन का रूप
यशोदा और रिया की कंपनी हुवु साल 2019 में शुरू हुई थी। इस बिजनेस ने दशकों पुराने फ्लावर मार्केट को एक नए इनोवेशन का रूप दिया। रिया और यशोदा कहते हैं कि उनके पिता ने केन्या, इथोपिया और भारत में अपना गुलाब का
बाग शुरू किया था। 90 के दशक में उनके केन्या का गुलाम का फार्म दुनिया का सबसे बड़ा रोज फॉर्म बना। रिया और यशोदा ने फूलों के कारोबार को करीब से देखा है। जिसका फायदा भी उन्हें मिला।
यशोदा ने वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री पूरी की है। उनका कहना है कि भारत में फ्लावर इंडस्ट्री के मार्केट में बहुत बड़ा मार्केट गैप है। सालों से इस सब्जेक्ट के बारे में किसी ने नहीं सोचा। फ्लावर बुके मार्केट तो
ऑर्गेनाइज्ड है और यह काफी बढ़ भी रहा है। लेकिन पूजा के लिए फूल बेचने का मार्केट बहुत पीछे रह गया। भारत के लोग पूजा के लिए जैस्मिन, गेंदा और कमल या गुलाब जैसे फूल अलग-अलग तरीके से उपयोग में लाते हैं। पूजा करने के बाद लोग उन फूलों को अपने बालों में लगाने या ऑटो-कार या दुकान पर लटकाने को भी शुभ काम की तरह देखते हैं।
किसानों के साथ कर रही हैं काम
हुवु सीधे किसानों के संपर्क में है जिससे किसान सीधे कंपनी से कांटेक्ट कर सकते हैं। हुवु किसानों को प्रशिक्षण भी देती है। किसान अपना फूल लोकल मंडी में लाकर मार्केट में बेचते हैं। हुवु ने उनसे संपर्क किया और उनके खेत तक पहुंचकर उनसे फूले उठाने का बीड़ा उठाया। इससे फूल का टर्नअराउंड टाइम 12 से 24 घंटे तक कम हुआ। किसानों को भी लाभ मिला।