PACS In India: देश में सहकारिता क्षेत्र को मजबूती देने के लिए केंद्र सरकार लगातार कई महत्वपूर्ण योजनाएं ला रही है। जिसके तहत अब केंद्र सरकार प्राथमिक कृषि ऋण सोसाइटी पैक्स का दायरा बढ़ाने के लिए नया कदम उठाने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में खुद केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इसे बढ़ावा दिया है। केंद्र सरकार की नई योजना के अनुसार, देश के हर वर्ग तक पैक्स का दायरा बढ़ेगा। पैक्स उन कामों को करेगी जो काम देश में कॉमन सर्विस सेंटर कर रहे हैं।
MOU पर हुए हस्ताक्षर
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह और इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव की मौजूदगी में सहकारिता क्षेत्र में पैक्स को लेकर एक एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ है। इसमें विशेष तौर पर सहकारिता मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, नाबार्ड और कॉमन सर्विस सेंटर ई-गवर्नेंस सर्विसेज़ इंडिया लिमिटेड भाग लेगी। ये सभी एकजुट होकर पैक्स का दायरा बढ़ाने के लिए काम करेंगे।
300 से अधिक सीएससी सेवाओं का लाभ
केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय देश के सपने को साकार करने के लिए तत्पर है। सहकारिता के क्षेत्र में उठाया गया यह कदम ऐतिहासिक साबित होगा। नई योजना के तहत पैक्स से और अधिक किसानों को जोडने का काम किया जाएगा। किसान व ग्रामीण आबादी को पैक्स की मदद से 300 से अधिक सीएससी सेवाएं मिलेंगी।
5 साल में बनेंगे 2 लाख पैक्स
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह सपना है कि पैक्स देश के हर हिस्से तक पहुंचे। इसके लिए अगले 5 साल में 2 लाख पैक्स तैयार होंगे। देश में सहकारिता क्षेत्र की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि देश की करीब 50 प्रतिशत आबादी किसी न किसी रूप में सहकारिता से जुड़ी है। सहकारिता भी ग्रामीण अंचल के लोगों और किसानों को आर्थिक रूप से संपन्न बना रही है। पैक्स के अंतर्गत अब जल वितरण, भंडारण, बैंक मित्र समेत 20 अलग अलग गतिविधियां चलेंगी।
क्या है पैक्स?
प्राथमिक कृषि ऋण सोसाइटी को ही पैक्स कहा जाता है। यह एक बुनियादी इकाई और भारत में सबसे छोटी सहकारी ऋण संस्थाओं में से एक है। यह गरीब और किसानों को देखते हुए गांव पंचायत के लेवल पर काम कर रही है। किसान साहूकारों के चंगुल में न फंसे, इसी को लेकर पैक्स का गठन हुआ है।