फॉरेस्ट बाथिंग और ग्रीन प्रिस्क्रिप्शन से कई बीमारियों का हो रहा इलाज, जानें क्या है ये नेचुरल थैरेपी !



आयुर्वेद और योग विज्ञान के बारे में तो हम सभी ने सुना है, ये कितना फायदेमंद है यह भी हम सभी जानते हैं। लेकिन हाल के दिनों में फॉरेस्ट बाथिंग और ग्रीन प्रिस्क्रिप्शन भी काफी चलन में आया है। इसका लाभ पूरी दुनिया उठा रही है। हाल ही में हुए कई शोध ये बताते हैं कि बीमारियों को ठीक करने में फॉरेस्ट बाथिंग और ग्रीन प्रिस्क्रिप्शन लाभदायक रहा है। भारत ही नहीं पूरी दुनिया में इस नैचुरल थैरेपी का लाभ लोग ले रहे हैं।

फॉरेस्ट बाथिंग

नाम से ही साफ है कि यह प्रकृति से जुड़ा है। दरअसल, यह थैरेपी बॉडी रिलेक्स करने या रिलेक्सेशन का एक प्राचीन तरीका है, इसका प्रचलन जापान में ज्यादा है, इसे जापानी भाषा में shinrin yoku कहा जाता है। इस तरह की थैरेपी में पेड़ों के बीच शांत स्थान पर गहरी सांस लेते हुए आस-पास की प्रकृति को देखा जाता है। इससे व्यस्क और बच्चों को प्राकृतिक तरीके से बिना किसी दवाई के तनाव मुक्त करने में मदद मिलती है। फॉरेस्ट बाथिंग की जापानी प्रेक्टिस शारीरिक और मानसिक हेल्थ दोनों के लिए काफी फायदेमंद होता है।

शोध में यह साबित हो चुका है कि इस थैरेपी से स्ट्रेस हार्मोन को कम करने, खुश रहने की फीलिंग्स को बढ़ाने, क्रिएटिविटी बढ़ाने और हार्ट बीट और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के साथ इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाने में फायदा मिलता है। ऐसा लगातार करने से आप कई तरह की बीमारियों से सुरक्षा होती है। इस थैरेपी को करने के लिए खाली स्थान का चुनाव करना होता है और अपनी सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे फोन या दूसरे टूल्स से दूरी बनानी होती है। यही नहीं इस दौरान प्रकृति के बीच पांचों सेंस का इस्तेमाल किया जाता है इस थैरेपी से काफी फायदा मिलता है।

ग्रीन प्रिस्क्रिप्शन

इस थैरेपी में डॉक्टर की ओर से दी गई एक सलाह को मानी जाती है, जिससे किसी मरीज को स्वस्थ रखा जा सके। इसकी खास बात यह होती है कि इसमें डॉक्टर की ओर से दी गई सलाह प्रकृति के आधार पर दी जाती है। इसमें लोगों को प्रकृति से जुड़ी चीजों को अपने जीवन में शामिल करना होता है। जैसे कुछ उगाना, सामुदायिक बागवानी, एक साथ प्रकृति के बीच टाइम स्पेंड करना।

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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