सेमीकंडक्टर चिप के लिए दूसरे देशों पर खत्म होगी भारत की निर्भरता, भारत-अमेरिका के बीच हुआ करार!



दुनियाभर में सेमी कंडक्टर की सप्लाई को बढ़ाने के लिए भारत और अमेरिका मिलकर साथ काम करेंगे। इसके लिए 10 मार्च को India-USA कमर्शियल डायलॉग के दौरान दोनों देशों के बीच मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (MoU) यानी समझौता किया गया है। कॉमर्स मिनिस्ट्री ने इसकी जानकारी साझा की है।

उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के निमंत्रण पर अमेरिकी कॉमर्स सेक्रेटरी जीना रायमोंडो भारत-अमेरिका CEO फोरम का हिस्सा बनने दिल्ली पहुंची थीं। इस समझौते के अनुसार दोनों देश सेमी कंडक्टर सप्लाई चेन और इनोवेशन के सेक्टर में पार्टनरशिप को लेकर साथ काम काम करेंगे।

भारत ने चिप और डिस्प्ले उत्पादन के लिए 1000 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन योजना की शुरूआत की है। ऐसे में भारत-अमेरिका के बीच हुई इस डील से दोनों देशों को फायदा मिलेगा।

सेमीकंडक्टर चिप के बारे में

सेमीकंडक्टर चिप्स सिलिकॉन के बने होते हैं। ये सर्किट में इलेक्ट्रिसिटी कंट्रोल करने के काम आते हैं। ये चिप एक दिमाग की तरह इन गैजेट्स को ऑपरेट करने में इस्तेमाल होता है। सेमीकंडक्टर के बिना एक इलेक्ट्रॉनिक आइटम अधूरा होता है। कंप्यूटर, लैपटॉप, कार, वॉशिंग मशीन, ATM, अस्पतालों की मशीन से लेकर हाथ में मौजूद स्मार्टफोन तक सेमीकंडक्टर चिप की वजह से ही काम करते हैं।

ये चिप इलेक्ट्रॉनिक आइटम को ऑटोमैटिकली ऑपरेट करने के काम करती है। उदाहरण के लिए, स्मार्ट वॉशिंग मशीन में कपड़े पूरी तरह धुलने के बाद ऑटोमैटिक मशीन बंद हो जाते हैं। इसे इस तरह से समझ सकते हैं, कि कार में जब आप सीट बेल्ट लगाना भूल जाते हैं, तो कार आपको अलर्ट देती है। ये सेमीकंडक्टर की मदद से ही संभव होता है।

गुजरात में बनेगा देश का पहला सेमीकंडक्टर प्लांट

भारत में सेमीकंडक्टर बनाने के लिए पहला प्लांट गुजरात के धोलेरा में लगाया जाएगा। इसे भारतीय कंपनी वेदांता और ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी फॉक्सकॉन का एक जॉइंट वेंचर मिलकर बनाएगा।

गुजरात सेमीकंडक्टर पॉलिसी 2022-27: गुजरात सरकार, ‘गुजरात सेमीकंडक्टर नीति 2022-27’ के तहत इस प्रोजेक्ट को सब्सिडी और प्रोत्साहन दे रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले फैब्रिकेशन सेक्टर के लिए इस तरह की समर्पित नीति रखने वाला गुजरात देश का पहला राज्य बनेगा।

भारत-अमेरिका के बीच व्यापार

वर्तमाना में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर्स और ट्रेडिंग पार्टनर है, जबकि भारत अमेरिका का नौवां सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। बता दें कि अमेरिका भारत में FDI का तीसरा सबसे बड़ा सोर्स भी है और वह भारत के लिए टॉप-5 
इनवेस्टमेंट डेस्टीनेशन्स में भी शामिल है।

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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