

Water Harvesting Scheme: खेती-किसानी में पानी की खपत अक्सर ज्यादा होती है, यही वजह है कि सिंचाई के कई ऐसे तरीके आजकल चलन में हैं जो पानी की बचत को सुनिश्चत करते हैं। हाल ही किसानों को खेती के साथ-साथ पानी के महत्व को समझाने और जल संरक्षण में आगे आने के लिए हरियाणा सरकार एक अच्छी पहल कर रही है। इसके लिए हरियाणा सरकार ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति अपनाने और रिचार्जिंग बोरवेल इंस्टॉल करवाने के लिए किसानों को सब्सिडी दे रही है। सरकार का यह मानना है कि ये पानी बचाने और इसका संचयन करने में मददगार साबित होगी। इससे वाटर लेवल रिकवर किया जा सकता है। हाल ही में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत सूक्ष्म सिंचाई सिस्टम लगवाने के लिए किसानों को सब्सिडी का प्रावधान भी किया है।
सूक्ष्म सिंचाई के लिए किसानों को 85% अनुदान
कृषि में सिंचाई के लिए सबसे ज्यादा निर्भरता भूमिगत जल पर ही होती है। इसे बनाए रखने के लिए पानी की ज्यादा खपत वाली फसलों की जगह बागवानी फसलों की खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
इसके साथ ही सूक्ष्म सिंचाई मॉडल अपनाने के लिए किसानों को रीचार्जिंग बोरवेल पर सब्सिडी मिल रही है। जिससे किसान खेती के अलावा जल संरक्षण के लिए प्रोत्साहित हों।
सरकार इसके लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई को बढ़ावा दे रही है। ये किसानों के लिए सस्ता और सुविधाजनक माना जा रहा है, क्योंकि राज्य सरकार सूक्ष्म सिंचाई अपनाने के लिए किसानों को 85% सब्सिडी का लाभ देगी।
क्या है सरकार के लक्ष्य?
भारत में अब गिरते भूजल स्तर को फिर से रिकवर करना इस योजना का लभ्य है। इसके लिए वर्षा जल संचयन को भी बढ़ावा भी दिया जा रहा है। इसे सफल बनाने के लिए राज्य सराकर रीचार्जिंग बोरवेल लगाने पर तेजी से काम कर रही है।
जिससे बारिश का पानी वापस जमीन तक पहुंच सके। इस काम के लिए किसानों को 25,000 रुपये खर्च करने पड़ेंगे। बाकी का खर्च हरियाणा सरकार देगी।
आवेदन प्रोसेस
रीचार्जिंग बोरवेल पर आवेदन की प्रक्रिया ऑनालइन है।
हरियाणा के किसान इस योजना से अपने खेत में चल संचयन के लिए बोरवेल लगवा सकते हैं।
सिंचाई और जल संसाधन विभाग, हरियाणा की वेबसाइट hid.gov.in पर जाकर आवेदन करना होगा।
जानकारी के लिए संबंधित जिले के कृषि विभाग के कार्यालय में भी संपर्क कर लाभ ले सकते हैं।