Digital Currency: ई-रुपी से आसान होगा लेनदेन, जानें सरकार के इस कदम से क्या होंगे बदलाव !



रिलायंस जनरल इंश्योरेंस ऐसी पहली कंपनी बनी है जिसने रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी ई-रुपी में प्रीमियम लेने की शुरूआत की है। कंपनी ने इसके लिए यस बैंक के साथ पार्टनरशिप को आगे बढ़ाया है। ई-रुपी में पेमेंट की सुविधा के लिए कस्टमर के पास एक्टिव ई-वॉलेट होना जरूरी है।

ये ई वॉलेट किसी भी बैंक का हो सकता है, जैसे UPI से पेमेंट करने के लिए QR कोड का इस्तेमाल किया जाता है। वैसा ही कोड ई-रुपी से पेमेंट करने के लिए रिलायंस से उपलब्ध होगा। कस्टमर को अपना ई-वॉलेट ओपन कर QR कोड स्कैन करना पड़ेगा जिससे तुरंत पेमेंट हो जाएगा।

कंपनी के अनुसार, पेमेंट के इस नए तरीके का उद्देश्य ग्राहकों को आसान, सुरक्षित, तुरंत और ग्रीन पेमेंट सॉल्यूशन उपलब्ध करवाना है। SBI, ICICI बैंक, यस बैंक और IDFC फर्स्ट बैंक की पार्टनरशिप में RBI ने रिटेल ई-रुपी के पायलट प्रोजेक्ट को 1 दिसंबर 22 को लॉन्च किया था।

फिलहाल क्लोज्ड यूजर ग्रुप के लिए

इस पायलट को फिलहाल क्लोज्ड यूजर ग्रुप के लिए ही लॉन्च किया था। यानी सिर्फ कुछ चुनिंदा यूजर्स ही अब तक इसका उपयोग कर सकते थे। ये सुविधा पहले सिर्फ चार शहर मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में लॉन्च हुआ था। बाद में इसे दूसरे शहरों में एक्सटेंड किया गया है।

डिजिटल ई-रुपी के बारे में

यह e₹ करेंसी का डिजिटल फॉर्म है। जो ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर बेस्ड है। ये दो तरह की है- CBDC होलसेल और CBDC रिटेल इसकी सुविधाएं हैं। इसकी वैल्यू भी मौजूदा करेंसी के ही आस-पास है। इसको भी फिजिकल करेंसी की तरह एक्सेप्ट किया जाएगा। e₹ को मोबाइल वॉलेट में रख सकते हैं। इसे रखने के लिए बैंक खाते की आवश्यक्ता नहीं है।

क्यों लाया जा रहा है e-rupee?

यह रुपए के मौजूदा डिजिटल स्वरूप की जगह नहीं होगा, बल्कि लेनदेन का एक और माध्यम उपलब्ध होगा। RBI ये मानती है कि ई-रुपी डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ावा देने का काम करेगी। सरकार के इस कदम से नगद अर्थव्यवस्था घटाने का लक्ष्य को पाया जा सकेगा। लेनदेन की लागत घटाने में भी ये मददगार होगा, साथ ही पेमेंट सिस्टम को भी आसान बनाएगा।

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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