

• ईंटें बनाता है कुंजप्रीत का स्टार्टअप
• स्टार्टअप Angirus ने TIE यूनिवर्सिटी ग्लोबल पिच प्रतियोगिता में हासिल किया दूसरा स्थान
• तीन साल में कुंजप्रीत के स्टार्टअप ने जीते हैं कई ईनाम
स्टार्टअप ने हर किसी के लिए राहें खोली है फिर वो चाहे 80 साल की दादी हो या 18 साल का कोई युवा। दुनिया को एक बेहतर प्लेटफॉर्म देने वाले टर्म को हम स्टार्टअप कह सकते हैं। इन दिनों स्टार्टअप की दुनिया गुलज़ार है। देश का हर व्यक्ति अपने आइडियाज को लेकर जी-जान से मेहनत कर रहा है। सरकार उन्हें काफी मदद भी दे रही है। दुनिया भर में इनका नाम भी हो रही है। ऐसे ही लोगों में शामिल हैं झीलों के शहर उदयपुर की कुंजप्रीत। जिन्होंने उदयपुर में एंगिरस नामक स्टार्टअप खोला है। दुनिया के बेहतरीन स्टार्टअप्स से जुड़ी प्रतियोगिता में एंगिरस ने दूसरा स्थान हासिल किया है।
TIE यूनिवर्सिटी ग्लोबल पिच प्रतियोगिता में मिला सम्मान
चौथी वार्षिक TIE यूनिवर्सिटी ग्लोबल पिच प्रतियोगिता में तीन महाद्वीपों के आठ देशों ने भाग लिया था। जिसमें से 30 विजेता टीमों ने फाइनल में हिस्सा लिया था। इसमें उदयपुर के स्टार्टअप एंगिरस को दूसरा स्थान दिया गया है। एंगिरस सस्टेनेबल और इकोफ्रेंडली ईंटे बनाने के आइडिया पर काम करता है।
स्टार्टअप एंगिरस के बारे में जुड़ी दिलचस्प बातें
एंगिरस (Angirus) एक इनोवेटिव सर्कुलर इकॉनमी स्टार्टअप के तौर पर उभरा है। ये स्टार्टअप लाइटवेट और डैम्पप्रूफ ईंटें तैयार करता है। इसके लिए 100% वेस्ट मैटेरियल का उपयोग किया जाता है ताकि पृथ्वी में प्रदूषण को कम किया जा सके। कुंजप्रीत ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि, ‘हमने इन ईंटों को ब्रिक्स की जगह व्रिक्स नाम दिया है। व्रिक्स इसलिए कहते हैं क्योंकि इन्हें बनाने में 20 प्रतिशत तक की वर्क कॉस्ट कम हो जाती है। हम ईंट बनाने वाली इंडस्ट्री को एक सस्टेनेबल अल्ट्रानेट के तौर पर विकल्प देना चाहते हैं। फिलहाल हमें देश भर से सैंपल ऑर्डर मिले हैं। ग्रीन बिल्डिंग की इस प्रैक्टिस से भविष्य में ईंट बनाने के दौरान होने वाले प्रदूषण और प्लास्टिक वेस्ट दोनों की समस्या को खत्म किया जा सकेगा।
स्टार्टअप की CEO हैं कुंजप्रीत अरोड़ा कहती है कि साल 2019 में इस आइडिया पर उन्होंने काम करना शुरू किया। तब वे सिविल इंजीनियरिंग के थर्ड ईयर की स्टूडेंट थी। प्लास्टिक वेस्ट को कैसे कम किया जाए, उदयपुर में मार्बल वेस्ट की क्या परेशानी है, मार्बल वेस्ट से झील को कैसे नुकसान पहुंच रहा है? जैस सवालों पर वे काम करना चाहती थी। इनसे ही प्रेरित होकर कुंजप्रीत को इस आइडिया पर काम करना शुरू कर दिया। आइडिया था कि प्लास्टिक वेस्ट और मार्बल वेस्ट को मिलाकर ईंटें तैयार की जाएं। इससे वेस्ट की परेशानी तो खत्म होगी ही साथ ही ये ईंटें भविष्य में मजबूत और ईकोफ्रेंडली ढांचे बनाने के लिए नींव की तरह कार्य करेंगी।
कॉलेज लैब में बनाया पहला ईंट
जब कुंजप्रीत ने ये तय कर लिया कि इस आइडिया पर काम करना है तो ऐसे में उन्होंने अपना पहला एक्सपेरीमेंट कॉलेज की लैब में किया। दोस्तों के साथ मिलकर उन्होंने प्लास्टिक को मार्बल वेस्ट के साथ मेल्ट करके ईंट का ढांचा बनाने में सफलता हासिल की। लेकिन इसे तैयार करने के लिए मशीनरी की जरूरत थी। मशीनरी का जुगाड़ आईआईटी मद्रास से हुआ। वहां आयोजित कार्बन जीरो चैलेंज में कुंजप्रीत हिस्सा बनीं और उन्हें प्राइज भी मिला। प्राइज में मिले थे 5 लाख रुपये, जिससे मशीनरी का सेटअप लगा। कुंजप्रीत कहती है कि उन्होंने अब तक 70-80 लाख की फंडिंग हासिल कर ली है। स्टार्टअप इंडिया से भी उन्हें 10 लाख की फंडिंग दी गई है। जिससे वे एक बेहतर भविष्य की तरफ बढ़ रही हैं।
24 साल की कुंजप्रीत अपनी उपलब्धि को लेकर कहती हैं कि इस काम के लिए उन्हें उनके पिता ने प्रेरित किया है।