भारत में एक गांव है जहां आज भी संस्कृत की शिक्षा दी जाती है। ऐसा भी नहीं है कि वैदिक शिक्षा में माहिर ये लोग पढ़े-लिखे नहीं हैं, दरअसल इस गांव के हर घर में आपको इंजीनियर और उच्च शिक्षा ग्रहण किए हुए लोग मिल जाएंगे।
यहां हर घर से वैदिक मंत्रों की आवाज आती है और सड़कों पर बच्चे-बड़े सब धोती में दिखाई देते हैं। सिर पर शिखा बांधे हुए यहां के लोग आज भी पेड़ के नीचे गुरुकुल परंपरा की तरह पढ़ते और पढ़ाते हुए दिख जाएंगे। यहां लोग आपस में संस्कृत में बातचीत करते हैं।
प्राचीन संस्कृति को समेटा हुआ है मत्तूर
भारत के कर्नाटक के सिमोगा जिले में है मत्तूर, यहां पर पहुंचने पर ऐसा अहसास होता है कि किसी वैदिक काल में आ गए हों। कई हजार साल पुरानी परंपरा का पालन आज भी यहां किया जा रहा है। ये गांव राजधानी बेंगलुरु से लगभग 320 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
‘संस्कृत गांव’ के नाम से है पहचान
कर्नाटक के मत्तूर गांव को ‘संस्कृत गांव’ के नाम से ख्याति प्राप्त है। गांव के बच्चों से लेकर बूढ़े तक सभी संस्कृत में बात करते हैं। यहां पहुंचने पर पहले अभिवादन नमो नम:, नमस्कारम् जैसे शब्दों से होता है। नौ हजार इस गांव की आबादी है। मत्तूर गांव में लोग 4 दशक से संस्कृत में ही बात करने की परंपरा को निभा रहे हैं। गांव में प्रत्येक व्यक्ति के लिए संस्कृत सीखना अनिवार्य है।
बचपन में ही मिल जाती है मत्तूर के बच्चों को वेदों की शिक्षा
मत्तूर गांव के सभी बच्चों को बचपन से ही संस्कृत के साथ-साथ वेद पढ़ना अनिवार्य है। यहां प्राथमिक शिक्षा के रूप में बच्चों को योग भी सिखाया जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 1981 में यहां संस्कृत बोलने की शुरुआत की गई थी। संस्कृत भारती नाम की संस्था ने इसके लिए संस्कृत भाषण आंदोलन को आगे बढ़ाया था जिसके तहत ये तय हुआ कि सभी लोग संस्कृत में ही बात-व्यवहार करेंगे। हालांकि ऐसा भी नहीं है कि पूरी आबादी संस्कृत में ही बातचीत करती है, लेकिन यहां ज्यादातर लोग संस्कृत बोलते हैं।
विदेशी मत्तूर में आकर सीखते हैं संस्कृत
मत्तूर में संस्कृत सिखाने के लिए किसी तरह की कोई फीस नहीं लगती है। इस गांव में देश के कई शहरों से लोग संस्कृत सीखने के लिए आते है। भारत ही नहीं विदेशों से भी लोग संस्कृत और वेद की शिक्षा लेने आते हैं। गांव में रहने वाले गुरु ये दावा करते हैं कि एक महीने से भी कम समय में संस्कृत सिखाते हैं। बस संस्कृत सीखने का नियम है कि इसे गुरूकुल में ही रहकर सीखना होता है।
मत्तूर की आबादी काफी पढ़ी-लिखी
इनाडु इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इस गांव में भले ही संस्कृत की शिक्षा अनिवार्य है और यहां के लोग वैदिक शिक्षा ग्रहण करते हैं। लेकिन मत्तूर के ज्यादातर लोग पढ़े-लिखे हैं। इस गांव में हर घर से एक इंजीनियर और डॉक्टर मिल जाएंगे। इस गांव के बारे में बात करते हुए यहां के जानकार कहते हैं कि संस्कृत सीखने से गणित और तर्कशास्त्र का ज्ञान तेज होता है। ये दोनों विषय आसानी से समझ जाते हैं। ऐसे में यहां के युवाओं का रुझान धीरे-धीरे आईटी इंजीनियरिंग की ओर गया और आज वे बेहतर कर रहे हैं।