Online Dhan Token: तकनीक से बदली खेती की सूरत छत्तीसगढ़ में ‘धान का कटोरा’ अब केवल अपनी पैदावार के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी पारदर्शी और आधुनिक व्यवस्था के लिए भी जाना जा रहा है। महासमुंद जिले में इस वर्ष धान खरीदी की प्रक्रिया ने एक नया मानक स्थापित किया है। यहाँ डिजिटल टोकन व्यवस्था ने उन लंबी कतारों और अनिश्चितता को खत्म कर दिया है, जो कभी किसानों की सबसे बड़ी चिंता हुआ करती थी। प्रशासन की सक्रियता और ऑनलाइन माध्यमों के जुड़ाव से अब उपार्जन केंद्रों पर धान की खरीदी न केवल सुचारू हो गई है, बल्कि पूरी तरह से पारदर्शी भी है।
कनेकेरा समिति की सफलता की कहानी
महासमुंद के ग्रामीण सेवा सहकारी समिति मर्यादित कनेकेरा (शेर) में धान उपार्जन का कार्य इन दिनों उत्सव की तरह चल रहा है। समिति प्रबंधक श्री परमेश्वर यादव ने बताया कि डिजिटल व्यवस्था ने काम को बहुत आसान बना दिया है। एक ही दिन में दर्जनों किसान अपने पूर्व-निर्धारित टोकन के साथ पहुँच रहे हैं।
आंकड़ों की बात करें तो, इस अकेले केंद्र पर अब तक 561 किसानों ने अपनी मेहनत की उपज बेची है, जिसका कुल वजन 31 हजार 438 क्विंटल से अधिक है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि खरीदी के साथ-साथ उठाव की प्रक्रिया भी तेज है—लगभग 15,620 क्विंटल धान का उठाव सफलतापूर्वक किया जा चुका है, जिससे केंद्रों पर जाम की स्थिति नहीं बनती और किसानों को अपनी तौल के लिए इंतजार नहीं करना पड़ता।
घंटों का काम मिनटों में
ग्राम भलेसर के किसान श्री लाभाराम साहू इस डिजिटल क्रांति के प्रत्यक्ष गवाह हैं। 8 एकड़ कृषि भूमि के स्वामी लाभाराम ने बताया कि पहले टोकन के लिए केंद्रों के चक्कर लगाने पड़ते थे, लेकिन अब ‘ऑनलाइन टोकन’ व्यवस्था से सब बदल गया है। उन्होंने मोबाइल के माध्यम से टोकन प्राप्त किया और निर्धारित समय पर पहुँचकर 80.80 क्विंटल धान का विक्रय किया।
लाभाराम के अनुसार, “समय पर तौल, पारदर्शी वजन और बिना किसी बिचौलिए के सीधे शासन से जुड़ना एक सुखद अनुभव है।” उन्होंने इस सुव्यवस्थित प्रक्रिया के लिए राज्य शासन का हृदय से आभार व्यक्त किया है।
घनश्याम चंद्राकर की कहानी
डिजिटल व्यवस्था केवल छोटे किसानों के लिए ही नहीं, बल्कि बड़े जोत वाले किसानों के लिए भी उतनी ही प्रभावी है। ग्राम बकमा के किसान घनश्याम चंद्राकर, जिनके पास 80 एकड़ भूमि है, ने अब तक 2000 क्विंटल धान का विक्रय किया है।
घनश्याम जी का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर धान बेचना पहले काफी तनावपूर्ण होता था, लेकिन इस बार भुगतान की प्रक्रिया इतनी सहज है कि विक्रय की राशि सीधे बैंक खाते में समय पर प्राप्त हो रही है। भुगतान का यह सुरक्षित और भरोसेमंद तरीका ही है जिसने किसानों का शासन पर विश्वास और अधिक मजबूत किया है।
पारदर्शिता और सुलभ भुगतान
महासमुंद जिले के सभी उपार्जन केंद्रों में किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य देने के साथ-साथ उनके सम्मान का भी ध्यान रखा जा रहा है। डिजिटल टोकन से यह सुनिश्चित होता है कि किसान को पता हो कि उसे किस दिन और किस समय केंद्र पर आना है। इससे न केवल समय की बचत होती है, बल्कि पूरी प्रक्रिया में मानवीय हस्तक्षेप कम होने से भ्रष्टाचार की गुंजाइश भी खत्म हो गई है। सुरक्षित भुगतान प्रणाली ने यह सुनिश्चित किया है कि किसान के पसीने की कमाई सीधे उसके हाथ में बिना किसी देरी के पहुँचे।
Positive सार
महासमुंद में धान खरीदी की यह सुव्यवस्थित तस्वीर छत्तीसगढ़ के बदलते स्वरूप को दर्शाती है। जहाँ एक ओर तकनीक ने किसानों को सशक्त बनाया है, वहीं दूसरी ओर शासन की नीतियों ने उन्हें आत्मनिर्भरता का नया मार्ग दिखाया है। डिजिटल टोकन व्यवस्था आज केवल एक सुविधा नहीं, बल्कि भरोसे का दूसरा नाम बन गई है।
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