भारत में कैंसर के इलाज को सुगम और सस्ता बनाने के लिए एक वैज्ञानिक ने काफी मेहनत की है। जिसका नतीजा हुआ कि वे कैंसर की सस्ती दवा बनाने में कामयाब हो गए। उनकी मेहनत से अब कैंसर के इलाज के लिए सस्ती दवा बाजार में जल्द ही उपलब्ध होगी।
भारत में कैंसर के इलाज को सस्ता बनाने के लिए पुणे बेस्ट बायोटेक फर्म एमजीन बायोसाइंसेज ने एक खास पहल की है। कंपनी ने Bevacirumab लॉच करने की घोषणा की है। ये दवा मेटास्टेटिक कोलोरेक्टल कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा अवस्टिन का बायोसिमिलर के विकल्प के रूप में स्थापित होगी। इसके सीईओ डॉ. हिमांशु का कहना है कि, “हमें यकीन है कि दवाओं की कीमतों में की गई कटौती से हजारों मेटास्टेटिक कोलोरेक्टल कैंसर रोगियों को फायदा पहुंचेगा। इससे कैंसर के इलाज को अधिक सुलभ और किफायती बनाने के हमारे मिशन को समर्थन भी होगा।”
ऐसे शुरू हुआ सफर
इस कंपनी के सीईओ भारत के लोगों को कैंसर की सस्ती दवाएं उपलब्ध करवाना चाहते हैं। वे अमेरिका में हाई प्रोफाइल नौकरी पर थे, लेकिन 2009 में डेंग्यू से होने वाली इंटरनल ब्लीडिंग की वजह से उनके पिता की मौत हो गई थी, उस वक्त वे अपने पिता के साथ नहीं थे। इस स्थिति ने उन्हें काफी प्रभावित किया। इलाज में लाखों का खर्च और डॉक्टर्स के द्वारा लिखी गई कुछ ऐसी दवाएं भी थी जो मिडिल क्लास फैमिली के लिए काफी महंगी थी। लोगों ऐसी परेशानी को समझते हुए गाडगिल ने 2011 में इंडिया जाने का फैसला लिया और किफायती दवाएं मुहैया कराने पर काम शुरू कर दिया।
भारत आकर गाडगिल ने अहमदाबाद स्थित दवा निर्माता इंटा बायोफार्मास्युटिका से जुड़े। उन्होंने कई प्रकार के कैंसर, संक्रमण और अन्य गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बायोसिमिलर दवाएं प्रोड्यूस करने में सहायता की।
भारत में कैंसर की दवाओं की कीमतें काफी कम है लेकिन फिर भी ये सस्ती नहीं होती हैं। फर्स्ट स्टेज के कैंसर के इलाज की लागत 5 लाख रुपये से 6 लाख रुपये है, वहीं ये लास्ट स्टेज तक आते-आते काफी बढ़ जाते हैं। भारत में 2022 तक 1.46 मिलियन से कैंसर के मरीज है, हर साल इस बीमारी से 800,000 लोगों की मौत होती है। देश में कैंसर से होने वाली मौतों को कम करने गाडगिल ने ऐसी टेक्नॉलजी पर काम किया जिसमें दवाओं की गुणवत्ता से समझौता किए बिना इसकी लागत कम हो।
कम कीमत पर उपलब्ध bevacirumab
इसकी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी के regulatory audit में अभी कुछ महीनों का समय है। लेकिन 2024 की शुरुआत में इसका रजिस्ट्रेशन हो जाएगा। भारत में bevacizumab की कुल बिक्री ₹260 करोड़ होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
कई दवा निर्माता कंपनियां 100 मिलीग्राम इंजेक्शन की कीमत 27,000 रुपये से 11,000 रुपये के बीच रखते हैं। इस दवा का इस्तेमाल non-squamous non-small cell] लंग कैंसर और ग्लियोब्लास्टोमा के इलाज में होगा।