

राजस्थान के शेखावटी के रामजीपुरा के कई आर्थिक समृद्धी की तरफ बढ़ रहे हैं। ये किसान इन दिनों अंजीर की खेती कर रहे हैं, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए रामजीपुरा के करीब दर्जनभर से ज्यादा किसानों ने अंजीर के पौधे अपने खेतों में लगाए हैं। पारंपरिक खेती के अलावा ये किसान अब खेती-किसानी के नवाचार से जुड़ रहे हैं ताकि खेती कर मुनाफा कमाया जा सके।
अंजीर की खेती कर रहे हैं किसान
किसान पारंपरिक खेती से हटकर अंजीर की फसल तैयार कर रहे हैं। इसके लिए किसान अंजीर की फसल तैयार होने के बाद इन्हें सुखाते हैं। इसके बाद ये अंजीर को पैक कर निर्यात के लिए तैयार करते हैं। कर्नाटक और आंध्रप्रदेश की कई कंपनियों ने इस क्षेत्र के किसानों के साथ समझौता किया है और वह उन्हें अंजीर की खेती के लिए 24 लाख रुपए सालाना तक दे रहे हैं।
अंजीर शहतूत फैमिली का ही फसल है, इसकी कई वैरायटी आती है। राजस्थान के सीकर के किसान सिमराना, कालीमिरना, कडोटा, काबुल, मार्सेलस और वाइट सैन पेट्रो जैसे किस्म की अंजीर की खेती कर लाभ कमा रहे हैं। सीकर जिले के ही किसान भोला सिंह कहते हैं कि वे Fig Farming के लिए कांट्रैक्ट कर काफी संतुष्ट हैं।
अंजीर का महत्व
वर्तमान में अंजीर काफी महंगा और बाजारी फसल बन चुका है। इसे ताजा खाने के साथ ही सुखाकर साल भर इसका इस्तेमाल किया जाता है। दिल्ली के थोक बाजार खारी बावली में इस समय बढ़िया किस्म के अंजीर 1200 रुपए किलो तक में मिल रहे हैं।
कॉट्रैक्ट फार्मिंग और राजस्थान के किसान
अंजीर की खेती करने के लिए जिस कंपनी ने किसानों के साथ कोंट्रैक्ट किया है, वे समय-समय पर खेत और पौधे की देखभाल के लिए डॉक्टर किसानों के खेतों में भेजते हैं। अंजीर का पौधा लगाने के बाद 1 साल बाद यह फल देना भी शुरू कर देता है। अंजीर का पौधा 100 साल तक फल देने वाले फसलों में से एक है। एक बार फल देने के बाद अगले 40 दिन में फिर से अंजीर का पौधा फल देता है।
अंजीर के एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 10 फीट होती है। एक बीघा में लगाए गए पौधे से रोजाना 50 किलो अंजीर निकल जाता है। आसपास के बाजार में ₹300 किलो के हिसाब से अंजीर की कीमत है। जिससे रोजाना ₹15000 की कमाई आसानी से हो सकती है। साल के 7 महीने तक अंजीर का पौधा फल भी देता है। एक बीघा जमीन में अंजीर की खेती से रोजाना 50 किलो अंजीर तोड़ सकते हैं।
अंजीर की कॉन्ट्रैक्ट से जहां एक तरफ किसानों का रुझान वापस खेती की तरफ बढ़ा है वहीं दूसरी तरफ किसान खेती के क्षेत्र में नवाचारों को करने के लिए तैयार हैं।

