Chhattisgarhi Cuisine: मानव सभ्यता जितनी पुरानी है, लगभग उतना ही पुराना है स्वाद का संसार। जैसे-जैसे सभ्यता विकसित हुई, स्वाद की दुनिया भी बदलती गई। छत्तीसगढ़ अपने अनूठे व्यंजनों के लिए जाना जाता है। आदिवासी संस्कृति से लेकर जनपदीय परंपराओं तक, यहाँ के व्यंजन ‘कलेवा’ की विविधता और स्वाद में बेजोड़ हैं।
छत्तीसगढ़ी विरासत
अन्य राज्यों की तरह, छत्तीसगढ़ में भी खान-पान की पारंपरिक परंपराएं विशिष्ट और दुर्लभ हैं। यहाँ के व्यंजन न केवल स्वाद का आनंद देते हैं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत से भी परिचित कराते हैं। आधुनिक समय में नई पीढ़ी को अपने सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ना आवश्यक है।
छत्तीसगढ़ी पारंपरिक व्यंज
छत्तीसगढ़ी व्यंजन मांगलिक और गैर-मांगलिक अवसरों दोनों में घरों की शान हैं। यहाँ के व्यंजन स्वाद, स्वास्थ्य और पौष्टिकता का संगम हैं। इन्हें बनाने में आमतौर पर रोजमर्रा की रसोई की सामग्री जैसे आटा, चावल, ज्वार, चना, तिल, गुड़, गोंद आदि का उपयोग होता है। ये मिठाईयाँ न तो किसी मशीन से बनती हैं और न ही ओवन के तापमान पर निर्भर हैं।
ठेठरी

बेसन से बनी लम्बी या गोल आकृति वाली नमकीन।
करी

बेसन का मोटा सेव; नमकीन और मीठे (गुड़ वाला लड्डू) दोनों प्रकार।
सोहारी

पतली और बड़ी पूरी, शादियों और भोज में लोकप्रिय।
बरा

उड़द दाल से बना, पितर और शादियों में विशेष।
तसमई

खीर जैसा व्यंजन, दूध और चावल से बनता है।
खुरमी

गेहूं और चावल के आटे का मीठा व्यंजन, गुड़ और चिरौंजी से स्वाद बढ़ता है।
पपची

मीठी और कुरकुरी, बालूशाही से भी बेहतर।
अइरसा

चावल के आटे और गुड़ की चाशनी से बना।
देहरौरी

दरदरे चावल से बनी, रसगुल्ले जैसा देसी स्वाद।
फरा

गुड़ वाले घोल से मीठा और भाप में पकाया हुआ स्वादिष्ट।
चौंसेला

त्यौहारों में विशेष, गुड़ और अचार के साथ परोसा जाता है।
चीला

नमकीन और मीठा, हरी मिर्च और पताल की चटनी से स्वादिष्ट।
भजिया

उड़द या बेसन से बना, पत्तल में परोसने योग्य।
छत्तीसगढ़ी व्यंजन संतुलित, स्वास्थ्यवर्धक और स्वादिष्ट हैं। पारंपरिकता की सौंधी महक इन्हें और भी खास बनाती है। आधुनिकता के इस दौर में भी ये व्यंजन हमारी रसोई और संस्कृति के करीब बनाए रखते हैं।
क्यों छत्तीसगढ़ी व्यंजन बेजोड़ हैं?
- साधारण सामग्री, असाधारण स्वाद यानी कि रोजमर्रा की सामग्री से बनाए जाने वाले व्यंजन।
- स्वास्थ्यवर्धक भी है जो पोषण और स्वाद का संगम है।
- संस्कृति से जुड़ाव का तरीका क्योंकि हर व्यंजन हमारी सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक।
त्योहारों में महत्व
मांगलिक और गैर-मांगलिक अवसरों पर विशेष। छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का स्वाद और उनकी सरलता एक अनोखा अनुभव देती है, जो न केवल पेट को तृप्त करता है बल्कि संस्कृति की गहराई से भी जोड़ता है।