Ganesh Utsav History: कैसे शुरू हुई गणेश उत्सव मनाने की शुरूआत?

Ganesh Utsav History: हिंदू धर्म में भगवान गणेश सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। भारत ही नहीं, बल्कि अफगानिस्तान, श्रीलंका, पाकिस्तान और तिब्बत तक उनकी पूजा की परंपरा रही है। लेकिन महाराष्ट्र में गणेश पूजा का महत्व और भी खास है, क्योंकि यहां गणेशोत्सव ने न सिर्फ धार्मिक बल्कि सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन में भी अहम भूमिका निभाई।

महाराष्ट्र में गणेश पूजा की परंपरा

महाराष्ट्र में लगभग 500 सालों से लोग अपने घरों में भाद्रपद महीने के दौरान भगवान गणेश की मूर्तियां स्थापित कर पूजा करते आ रहे हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज की माता जीजामाता ने पुणे के क़स्बा पेठ गणपति मंदिर की स्थापना की थी। शिवाजी महाराज का विश्वास था कि उनकी सभी सफलताओं के पीछे भगवान गणेश का आशीर्वाद है।

लोकमान्य तिलक से है संबंध

भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने सबसे पहले गणेशोत्सव को घरों से निकालकर सार्वजनिक उत्सव का रूप दिया। उस समय 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजों ने लोगों में डर और विभाजन की भावना फैला दी थी। ऐसे माहौल में तिलक ने सोचा कि यदि गणेश पूजा को सार्वजनिक रूप दिया जाए तो लोग एकजुट हो सकते हैं।

गणेशोत्सव ने बढ़ाई सामाजिक एकता

तिलक का मानना था कि भगवान गणेश की पूजा ऊँची और नीची जाति के लोग मिलकर करते हैं। यही कारण था कि गणेशोत्सव सामाजिक समानता और भाईचारे का सबसे बड़ा मंच बन गया। हर चौक-चौराहे पर गणेश प्रतिमा स्थापित होने लगी, लोग सामूहिक आरती और सभाओं में जुटने लगे और इसी बहाने आज़ादी की अलख जगाई गई।

आज़ादी की लड़ाई में गणेशोत्सव की भूमिका

लोकमान्य तिलक ने गणेशोत्सव को एक ऐसा सामाजिक आंदोलन बना दिया जिसने जनता को संगठित किया। यह सिर्फ धार्मिक पर्व नहीं रहा बल्कि स्वतंत्रता संग्राम का मजबूत माध्यम बन गया। लोगों में हौसला बढ़ा, डर खत्म हुआ और आज़ादी की चिंगारी पूरे देश में फैल गई।

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Rishita Diwan

Content Writer

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