भारत में सब्जियों का उत्पादन बहुतायत होता है। दुनिया के ऐसे देशों में भारत का नाम शामिल है जहां पर कृषि सबसे ज्यादा की जाती है। लेकिन आंकड़ों को देखें तो महज 30 से 40 प्रतिशत उत्पादन ही ग्राहकों तक पहुंचता है। परेशानी का सबब सबसे ज्यादा छोटे किसानों को झेलना पड़ता है जो नियमित तौर पर साग-सब्जी तो उगाते हैं लेकिन उनके स्टोरेज की क्षमता उनके पास नहीं होती है। नतीजा फल-सब्जियों का ग्राहकों तक पहुंचने के पहले ही ख़राब हो जाना। अच्छे स्टोरेज और साधनों के अभाव में किसान को उनके उत्पादन का न ही सही दाम मिल पाता है न ही वे अपनी खेती को लेकर प्रोत्साहित हो पाते हैं। किसानों की ऐसी ही समस्याओं को खत्म करने के लिए एक भारतीय युवा इंजीनियर ने एक हल निकाला है।
सस्ता कोल्ड स्टोरेज
चेन्नई के दीपक राजमोहन ने इसके लिए एक समाधान खोजा है। उन्होंने किसानों तक कोल्ड स्टोरेज की सुविधा को आसान बनाने के लिए प्लांट्स बेस्ड तकनीक से एक प्राकृतिक पाउडर तैयार किया है। जो कि किसानों के लिए अच्छी तकनीक साबित हो सकती है।
एग्रीकल्चर और फ़ूड साइंस इंजीनियर दीपक ने कुछ समय तक US में नौकरी की और साल 2019 में उन्होंने भारत वापसी की। उन्होंने भारत आकर फ़ूड वेस्ट की इस समस्या पर काम करना शुरू किया। उन्होंने चेन्नई की अपनी लैब में प्लांट्स बेस्ड तकनीक से एक प्राकृतिक पाउडर बनाया। उनके इस प्राकृतिक पाउडर के पैकेट्स को फल-सब्जियों में रखने से यह बिना फ्रिज के भी लंबे समय तक ताज़ा रह सकती हैं।
किसान और सब्जी विक्रेता के लिए फायदेमंद आविष्कार
दीपक ने कई किसानों और उनकी सब्जियों पर इस प्राकृतिक तकनीक का प्रयोग किया और देखा कि यह सब्जियों की शेल्फ लाइफ को करीब 12 दिनों तक बढ़ाती है। दीपक ने अपने इस आविष्कार को एक प्रोडक्ट का रूप दे दिया। उन्होंने अपने इनोवेशन की पहुंच हर किसान तक करने के लिए अपने बचपन के दोस्त विजय आनंद के साथ एक स्टार्टअप की शुरुआत की।
सब्जियों को ताजा रखने वाली यह पुड़िया हर सब्जी और फल के लिए वह अलग-अलग साइज के लिए अलग-अलग पैकेट्स में उपलब्ध है। उदाहरण के लिए एक किलो आम में 5 रुपये के पाउच को रख सकते हैं। वहीं एक किलो शिमला मिर्च के लिए 4 रुपये का पैकेट, एक किलो टमाटर के लिए 1.25 रुपये का पैकेट काम आता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि ये पैकेट्स किसानों के बजट के अंदर है। दीपक का यह स्टार्टअप ग्रीनपॉड लैब्स जहां एक तरफ किसानों की मदद कर रहा है वहीं दूसरी तरफ करीब 15 लोगों को रोजगार से भी जोड़ रहा है। वे किसानों के लिए एक उम्मीद बनकर उभरे हैं।