लद्दाख के हवाई क्षेत्र हो रहे अपग्रेड, सेना को मिलेगा फायदा
चीन के बॉर्डर एरिया में बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर पूरा जोर देकर तेजी से काम किया जा रहा है। चीन सीमा से 50 किमी. से कम दूरी पर भारत ने लद्दाख के हवाई क्षेत्र को अपग्रेड किया है और कई पर काम चल रहा है। इसके लिए न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) पर लड़ाकू अभियानों के लिए 2.7 किमी लंबा कंक्रीट रनवे भी तैयार किया गया है। यह 13,700 फीट की ऊंचाई पर चीन की नजरों से दूर दुनिया का सबसे ऊंचे हवाई क्षेत्र के रूप में स्थापित होगा। यह एयरबेस चीन सीमा पर LAC के सबसे नजदीक होने के कारण रणनीतिक रूप से संवेदनशील होने के साथ ही महत्वपूर्ण कदम भी साबित होगा।
90 नए प्रोजेक्ट के जरिए होंगे विकास के काम
सीमावर्ती क्षेत्रों में कनेक्टिविटी में सुधार और जीवन को आसान बनाने के लिए केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने बीआरओ की 90 नई प्रोजेक्ट को राष्ट्र को समर्पित किया है। इनमें से 26 प्रोजेक्ट लद्दाख में और 36 अरुणाचल प्रदेश में स्थापित हैं। इसलिए भारत का पूरा ध्यान इन दो राज्यों पर है। इन प्रोजेक्ट्स में कुल 6,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसमें 22 सड़कें, 63 पुल और अरुणाचल प्रदेश में एक सुरंग भी शामिल है। इसके अलावा दो रणनीतिक हवाई क्षेत्र बागडोगरा और बैरकपुर और दो हेलीपैड एक राजस्थान में और एक ससोमा-सासेर ला के बीच लद्दाख में स्थापित है। इनमें से 60 प्रोजेक्ट को दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा।
दुनिया की सबसे लंबी टू-लेन सेला सुरंग
खास बात ये है कि अगले 20 दिनों में सेला सुरंग का निर्माण भी पूरा हो जाएगा। यह सुरंग 13,000 फीट और उससे अधिक ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी टू-लेन सुरंग होगी। अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले में स्थित सेला सुरंग तवांग सेक्टर को हर मौसम में कनेक्टिविटी मिलेगी जिससे ये ‘जीवन रेखा’ की तरह ही मानी जाएगी। केंद्र सरकार एलएसी के 3,488 किमी. इलाके को विकसित करने के लिए तेजी से काम पर लगा है। पिछले 2-3 वर्षों में 11,000 करोड़ रुपये की 295 प्रोजेक्ट पूरी की गई हैं।