Chhattisgarh Tourism: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मौजूद तात्यापारा हनुमान मंदिर न सिर्फ भक्ति का बड़ा केंद्र है, बल्कि इतिहास की एक ऐसी परत है, जो आज भी लोगों को चौंकाती है। यहां विराजमान हनुमान जी की प्रतिमा करीब 1100 साल पुरानी है, जो कलचुरी राजवंश के समय की मानी जाती है।
पहले मानी जाती थी 300 साल पुरानी मूर्ति
लोगों को लंबे समय तक यही लगता रहा कि ये मूर्ति मराठा काल की है और इसकी उम्र करीब 300 साल है। लेकिन जब मूर्ति पर चढ़ा पुराना चोला उतरना शुरू हुआ, तो असली सच सामने आया।
ऐतिहासिक विरासत
मंदिर समिति ने मूर्ति का चोला पूरी तरह से हटाने का फैसला लिया। जैसे ही यह हटाया गया, मूर्ति का असली रूप सबके सामने आया। उस वक्त रायपुर में मौजूद पुरातत्त्वविद् डॉ. अरुण शर्मा ने इसे देखा और अध्ययन के बाद बताया कि ये प्रतिमा 11वीं सदी की है और यह कलचुरी शिल्पकला का शानदार उदाहरण है।
कलचुरी कला की बेमिसाल प्रतिमा
यह मूर्ति एक ही पत्थर से बनी हुई है। हनुमान जी को इसमें एक पैर से कलमणि राक्षस को दबाते हुए दिखाया गया है। एक हाथ छाती पर है और दूसरा हाथ गदा लिए हुए, जो शक्ति और समर्पण दोनों का प्रतीक है। डॉ. शर्मा के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में ऐसी कला दूसरी कहीं नहीं मिलती।
पहला दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर
यह मंदिर दक्षिणमुखी हनुमान जी की मूर्ति के लिए भी जाना जाता है, जो छत्तीसगढ़ में अपनी तरह का पहला मंदिर है। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद जरूर पूरी होती है।
मंदिर में मंगलवार को सुंदरकांड पाठ और शनिवार को भजन मंडली में लोग गाते हैं, वहीं रामनवमी, श्रावण मास, होली, गीत रामायण और महिला मंडलों के खास आयोजन भी होते हैं। हनुमान जयंती पर तो मंदिर सज-धजकर श्रद्धालुओं से भर जाता है।
रायपुर की विरासत
यह मंदिर रायपुर के लोगों के लिए सिर्फ पूजा की जगह नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पहचान भी है। छत्तीसगढ़ की भक्ति परंपरा, कलात्मकता और इतिहास, सब एक साथ यहां जीवित हैं।
पुरातत्त्व और पर्यटन का केंद्र
अब जब मंदिर की ऐतिहासिक महत्ता सामने आ चुकी है, तो यह जगह धार्मिक टूरिज्म का भी बड़ा हब बन सकती है। जरूरत है इसे बेहतर तरीके से संरक्षित और प्रमोट करने की।