PM Modi Chhaava Screening: मराठा वीरता की मिसाल छत्रपति संभाजी महाराज पर बनी फिल्म छावा ने बॉक्स ऑफिस पर ऐतिहासिक सफलता दर्ज की है। फिल्म ने 500 करोड़ का जादुई आंकड़ा पार कर लिया है, और अब इसकी विशेष स्क्रीनिंग संसद में होने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई केंद्रीय मंत्री इस स्क्रीनिंग में शामिल होंगे। इससे पहले भी प्रधानमंत्री मोदी ने फिल्म की प्रशंसा करते हुए कहा था कि यह मराठा गौरव को पुनर्जीवित करने का कार्य कर रही है।
कौन थे छत्रपति संभाजी महाराज?
छत्रपति शिवाजी महाराज के उत्तराधिकारी संभाजी का जन्म 14 मई 1657 को पुरंदर किले में हुआ था। जब वे मात्र 2 वर्ष के थे, तब उनकी माता का निधन हो गया, और उन्हें शिवाजी महाराज की माता जीजाबाई ने पाला। वे बचपन से ही वीरता और युद्धकला में निपुण थे। अपने पिता की तरह वे भी मुगलों के खिलाफ खड़े रहे और मराठा साम्राज्य की रक्षा के लिए अंतिम सांस तक लड़े।
सिंहासन के लिए संघर्ष
शिवाजी महाराज के निधन के बाद मराठा साम्राज्य में राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो गई। उनकी सौतेली माता अपने पुत्र राजाराम को गद्दी पर बैठाना चाहती थीं, लेकिन 22 वर्षीय संभाजी ने अपनी वीरता से मराठा किलों पर अधिकार जमाकर सत्ता संभाली। 20 जुलाई 1680 को वे छत्रपति बने और मराठा साम्राज्य की बागडोर अपने हाथों में ले ली।
मुगलों के खिलाफ अदम्य साहस
संभाजी महाराज ने अपने शासनकाल में कई निर्णायक युद्ध लड़े। वे गुरिल्ला युद्धकला में माहिर थे और कई बार मुगलों की विशाल सेना को धूल चटा चुके थे। औरंगजेब ने दक्षिण भारत में मराठाओं को घेरने की पूरी कोशिश की, लेकिन संभाजी महाराज की वीरता के आगे वह असफल रहा। 1682 से 1687 तक मुगलों ने पूरी ताकत झोंक दी, लेकिन वे मराठा किलों को जीतने में नाकामयाब रहे।
कैसे हुए गद्दारी का शिकार?
1689 में मराठा साम्राज्य के भीतर कुछ गद्दारों की साजिश से संभाजी महाराज को पकड़ा गया। उन्हें औरंगजेब के सामने पेश किया गया, जहां उन्हें इस्लाम कबूल करने का दबाव डाला गया। लेकिन मराठा शेर ने अपनी अस्मिता से समझौता करने से इनकार कर दिया। उनकी अडिगता से औरंगजेब बौखला गया और क्रूर यातनाएं दीं।
संभाजी महाराज का बलिदान
संभाजी महाराज को बंदी बनाकर उनके हाथ और गर्दन को बेड़ियों से जकड़ दिया गया। जब उन्होंने सिर झुकाने से इनकार किया तो उनकी आंखें निकाल ली गईं, जुबान काट दी गई और शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए। 11 मार्च 1689 को जब वे मात्र 32 वर्ष के थे, तब उनकी नृशंस हत्या कर दी गई।
मराठा साम्राज्य की प्रतिक्रिया
औरंगजेब ने सोचा था कि संभाजी की मौत से मराठा साम्राज्य खत्म हो जाएगा, लेकिन इसका उल्टा हुआ। पूरे मराठा राज्य में विद्रोह की ज्वाला भड़क उठी। संभाजी के बलिदान से मराठाओं का खून खौल उठा और उन्होंने औरंगजेब को कभी मराठा साम्राज्य पर कब्जा नहीं करने दिया।
‘छावा’ और बॉक्स ऑफिस की सफलता
संभाजी महाराज के जीवन पर बनी फिल्म छावा ने पूरे देश में ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। 14 फरवरी को रिलीज हुई इस फिल्म ने 40 दिनों में 597.66 करोड़ रुपये की कमाई कर ली है। यह विक्की कौशल के करियर की सबसे बड़ी हिट फिल्म बन चुकी है। संसद में इसकी स्क्रीनिंग मराठा गौरव और भारतीय इतिहास के प्रति बढ़ते आकर्षण को दर्शाती है।
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Positive सार
छत्रपति संभाजी महाराज न केवल एक वीर योद्धा थे बल्कि अपने सिद्धांतों के लिए जान देने वाले नायक भी थे। उनकी कहानी हर भारतीय को प्रेरणा देती है कि किसी भी परिस्थिति में अपने धर्म, संस्कृति और आत्मसम्मान से समझौता नहीं करना चाहिए। छावा फिल्म ने इस महान वीर की गाथा को एक बार फिर से जीवंत कर दिया है।