CBSE: साल में 2 बार बोर्ड होने से छात्रों के मेंटल हेल्थ पर पड़ेगा असर?

CBSE Board: CBSE ने 2026 से 10वीं बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार आयोजित करने का निर्णय लिया है। इस कदम का उद्देश्य छात्रों के लिए परीक्षा का दबाव कम करना और उन्हें बेहतर प्रदर्शन का अवसर देना है। हालांकि, इस फैसले पर विशेषज्ञों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। जहां कुछ इसे फायदेमंद मान रहे हैं, वहीं कुछ इसे छात्रों की मेंटल हेल्थ पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला बता रहे हैं।

क्या होंगे इसके संभावित लाभ?

  1. सिलेबस का बोझ होगा कम – एक बार में पूरे सिलेबस की तैयारी करने के बजाय, छात्रों को दो अवसर मिलेंगे, जिससे वे अधिक व्यवस्थित तरीके से पढ़ाई कर सकेंगे।
  2. बेहतर परिणाम की संभावना – अगर पहली परीक्षा में प्रदर्शन अच्छा न हो, तो दूसरी परीक्षा में सुधार का अवसर मिलेगा।
  3. फ्लाइंग कैंडिडेट्स की संख्या होगी कम – बिना नियमित कक्षाएं अटेंड किए परीक्षा देने वाले छात्रों पर अंकुश लगेगा।
  4. सालभर पढ़ाई का अनुशासन – चूंकि परीक्षा दो बार होगी, इसलिए छात्र सालभर पढ़ाई को गंभीरता से लेंगे, जिससे उनका शैक्षणिक आधार मजबूत होगा।

मेंटल हेल्थ पर क्या पड़ेगा असर?

विशेषज्ञों का कहना है कि परीक्षा से जुड़ा तनाव (Exam Stress) पहले ही छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है। ऐसे में साल में दो बार बोर्ड परीक्षाएं होंगी, तो कुछ नकारात्मक प्रभाव भी देखे जा सकते हैं।

क्या हो सकते हैं नुकसान?

  • तनाव का स्तर बढ़ सकता है – लगातार परीक्षा की तैयारी करने से छात्रों में एग्जाइटी और स्ट्रेस बढ़ सकता है।
  • ब्रेक का अभाव – बच्चों को मानसिक रूप से रिलैक्स करने के लिए समय चाहिए, लेकिन सालभर परीक्षा की तैयारी करने से वे निरंतर दबाव में रह सकते हैं।
  • सभी छात्रों के लिए फायदेमंद नहीं – कुछ छात्र पहले से ही परीक्षा के तनाव से जूझते हैं, ऐसे में दो बार परीक्षा की अनिवार्यता उनके लिए और मुश्किलें खड़ी कर सकती है।
  • सीखने की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है – पढ़ाई का उद्देश्य सिर्फ परीक्षा पास करना नहीं, बल्कि समझ विकसित करना भी होता है। लगातार परीक्षा के दबाव में, रचनात्मक और आलोचनात्मक सोचने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।

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संतुलन जरूरी

साल में दो बार बोर्ड परीक्षा की योजना छात्रों के लिए फायदेमंद हो सकती है, लेकिन इसे लागू करने से पहले उनके मानसिक स्वास्थ्य पर इसके प्रभावों पर गंभीरता से विचार करना जरूरी है। एक संतुलित परीक्षा प्रणाली, जिसमें फ्लेक्सिबिलिटी, गाइडेंस, और मेंटल हेल्थ सपोर्ट शामिल हो, छात्रों के लिए ज्यादा लाभदायक हो सकती है।

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Rishita Diwan

Content Writer

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