Pragyagiri: छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में हाल ही में 32वां अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें देश-विदेश से बौद्ध भिक्षु, विद्वान और अनुयायी शामिल हुए। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस अवसर पर कहा कि गौतम बुद्ध के शांति और अहिंसा के संदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने हजारों साल पहले थे। उन्होंने प्रदेश की धार्मिक समरसता की मिसाल देते हुए कहा कि सिरपुर और मैनपाट जैसे स्थान बौद्ध धर्म की ऐतिहासिक विरासत को संजोए हुए हैं।
आध्यात्मिकता और आस्था का केंद्र
डोंगरगढ़, जिसे ‘संस्कारधानी’ के रूप में भी जाना जाता है, छत्तीसगढ़ का एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है। यहां माँ बम्लेश्वरी देवी का प्रसिद्ध मंदिर है, जहां लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। इसी क्षेत्र में स्थित प्रज्ञागिरी बौद्ध धर्म का एक प्रमुख तीर्थ स्थल बन चुका है।
बौद्ध धर्म का पवित्र स्थल
प्रज्ञागिरी डोंगरगढ़ से लगभग 32 किलोमीटर पश्चिम में स्थित एक रमणीक पहाड़ी क्षेत्र है। यह स्थान बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। बौद्ध धर्म को मानने वाले यहां विशेष रूप से ध्यान और आध्यात्मिक शांति की खोज में आते हैं।
शांति का प्रतीक
प्रज्ञागिरी की प्रमुख विशेषता यहां स्थित 30 फीट ऊंची ध्यान मुद्रा में बनी भगवान बुद्ध की प्रतिमा है, जो 22 फीट ऊंचे चबूतरे पर स्थित है। 500 फीट ऊंची काली चट्टानों के बीच स्थापित यह प्रतिमा संपूर्ण भारत में अपनी अलग पहचान रखती है। इस भव्य प्रतिमा को देखने के लिए हर साल हजारों पर्यटक देश-विदेश से आते हैं।
विश्वभर से अनुयायियों का संगम
6 फरवरी 1998 को भगवान बुद्ध की इस विशाल प्रतिमा का अनावरण किया गया था। तब से हर साल 6 फरवरी को प्रज्ञागिरी में अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन आयोजित किया जाता है। इस आयोजन में जापान, थाईलैंड, श्रीलंका और अन्य बौद्ध राष्ट्रों के धर्मगुरु और अनुयायी भाग लेते हैं।
पर्यटन विकास और सरकार की पहल
राज्य सरकार छत्तीसगढ़ को एक प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। केंद्र सरकार की प्रसाद योजना के तहत प्रज्ञागिरी को भी शामिल किया गया है, जिससे यहां पर्यटन सुविधाओं का व्यापक विकास हो रहा है।
आर्थिक समृद्धि का जरिया
बढ़ती पर्यटन गतिविधियों के कारण इस क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिल रहा है। विदेशी पर्यटकों की बढ़ती संख्या से सरकार को राजस्व प्राप्त हो रहा है और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं।
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Positive सार
भविष्य में, इस क्षेत्र को और अधिक विकसित करने की योजनाएं बनाई जा रही हैं। आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यहां सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा, जिससे यह स्थान वैश्विक स्तर पर बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र बन सके।