Rajim Kumbh Kalp 2025: राजिम को छत्तीसगढ़ का प्रयागराज कहा जाता है। ये अपनी दिव्यता और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। यहां महानदी, पैरी और सोनढूर नदियों का त्रिवेणी संगम है, जो इसे एक धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का केंद्र बनाता है। पवित्र भूमि पर स्थित कुलेश्वर महादेव और राजीव लोचन मंदिर इसे शैव और वैष्णव परंपराओं का अद्भुत संगम स्थल बनाते हैं।
राजिम कुंभ कल्प का विशेष आयोजन
इस साल, 12 फरवरी से 26 फरवरी 2025 तक आयोजित होने वाला राजिम कुंभ कल्प न केवल आस्था का केंद्र होगा, बल्कि छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति को भी देश-दुनिया के सामने प्रस्तुत करेगा। यह आयोजन 20 साल बाद एक नए स्थल पर किया जा रहा है, जो त्रिवेणी संगम से 750 मीटर की दूरी पर स्थित है। 52 एकड़ में फैले इस स्थल को आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है।
तीन प्रमुख पुण्य स्नान
राजिम कुंभ कल्प में श्रद्धालुओं के लिए तीन विशेष स्नान दिवस निर्धारित किए गए हैं,
- 12 फरवरी- माघी पुन्नी स्नान
- 21 फरवरी- जानकी जयंती पर संत समागम स्नान
- 26 फरवरी- शाही स्नान
त्रिवेणी संगम में स्नान को धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पापमोचिनी माना जाता है, जिससे मनुष्य जन्म-जन्मांतर के बंधनों से मुक्त हो सकता है।
क्या है कल्पवास?
राजिम कुंभ कल्प में आने वाले श्रद्धालुओं और साधु-संतों के लिए कल्पवास की व्यवस्था की गई है। महाभारत में माघ मास के कल्पवास को 9 साल की तपस्या के बराबर फलदायी बताया गया है। श्रद्धालुओं को साधना और मनोकामना पूर्ण करने का यह एक अनोखा अवसर मिलेगा।
आस्था के साथ कला और संस्कृति का संगम
यह आयोजन धार्मिक महत्व के साथ-साथ छत्तीसगढ़ की कला, शिल्प, संगीत और नृत्य को भी जीवंत करता है। मेले में स्थानीय कलाकारों और शिल्पकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मंच मिलेगा, जो छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रोत्साहित करेगा।
सरकार की तैयारियां
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस आयोजन को भव्य और सुरक्षित बनाने के लिए पूरी तैयारी की है। शाही स्नान, गंगा आरती, और संत समागम जैसे कार्यक्रमों के लिए उच्चस्तरीय व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं। सुरक्षा के लिए NDRF और स्थानीय पुलिस को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
परंपरा और पर्यटन का मेल
राजिम कुंभ कल्प केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ को पर्यटन के केंद्र के रूप में स्थापित करने का भी प्रयास है। यहां आने वाले देश-विदेश के श्रद्धालु इस पवित्र भूमि की दिव्यता और भव्यता का अनुभव करेंगे।