Fishery Progress Chhattisgarh: दंतेवाड़ा जिले के ग्राम मैलावाड़ा के प्रगतिशील कृषक श्री जयराम कश्यप का उदाहरण यह दर्शाता है, कि सही मार्गदर्शन और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर परंपरागत खेती से आगे बढ़ा जा सकता है। उन्होंने 2017 में अपनी पुश्तैनी भूमि पर तालाब बनाकर रोहू, कतला, मृगल और कॉमन कॉर्प जैसी मछलियों का पालन शुरू किया।
आज वे सघन मत्स्य पालन तकनीक अपनाकर सालाना साढ़े पांच लाख रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं। उनके तालाबों में वैज्ञानिक तरीकों और ऑक्सीजन की सतत आपूर्ति से मछलियों की बेहतर देखभाल की जाती है। यह प्रेरणा अन्य किसानों को भी मत्स्य पालन अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है। जानते हैं छत्तीसगढ़ के मत्स्य पालन के बारे में
जलवायवीय क्षेत्र और कृषि भूमि का महत्व
छत्तीसगढ़ का 43 प्रतिशत क्षेत्र वन आच्छादित है और राज्य मुख्य रूप से तीन जलवायवीय क्षेत्रों में विभक्त है,
- उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र – हल्की और मध्यम मिट्टी के साथ।
- मध्य मैदानी क्षेत्र – उपजाऊ भूमि और सिंचाई जलाशयों की अधिकता।
- बस्तर का पठार – वन और जल संसाधनों का समृद्ध क्षेत्र।
जलस्त्रोत और रोजगार
प्रदेश में 88,671 ग्रामीण तालाब और 1,770 सिंचाई जलाशय उपलब्ध हैं, जिनसे 1.812 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र को मत्स्य पालन के अंतर्गत लाया जा चुका है। 2.20 लाख से अधिक लोग इस व्यवसाय से जुड़कर रोजगार प्राप्त कर रहे हैं।
सरकारी योजनाओं का प्रभाव
अनुदान और प्रशिक्षण,
अनुसूचित जनजाति वर्ग और महिलाओं को 60 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान किया जा रहा है।
मत्स्य बीज उत्पादन
- राज्य में 59 मत्स्य बीज प्रक्षेत्र और 78 सरकुलर हेचरी उपलब्ध हैं। वर्ष 2021-22 में 285 करोड़ स्टैंडर्ड फ्राई का उत्पादन किया गया।
- पौष्टिक आहार और तकनीकी सहायता,
- संतुलित आहार, फर्टिलाइजर्स, और सघन बीज संचयन तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।
समस्याएं और समाधान
हालांकि राज्य में मत्स्य पालन का तेजी से विकास हो रहा है, लेकिन निम्नलिखित चुनौतियों का समाधान आवश्यक है,
- पानी की गुणवत्ता बनाए रखना, तालाबों और जलाशयों में पानी की गुणवत्ता सुधारने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग।
- बाजार विस्तार, मछलियों की स्थानीय बाजार से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच।
- शीत भंडारण सुविधाएं, मछलियों को संरक्षित करने के लिए कोल्ड स्टोरेज की स्थापना।
- छत्तीसगढ़ का सहकारी मॉडल, एक उज्ज्वल भविष्य।
मत्स्य पालन विभाग के प्रयासों ने छत्तीसगढ़ में रोजगार सृजन और आर्थिक विकास के नए द्वार खोले हैं। श्री जयराम कश्यप जैसे प्रगतिशील किसानों के उदाहरण ने यह सिद्ध किया है कि सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर समाज के कमजोर वर्ग भी आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
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Positive सार
छत्तीसगढ़ का मत्स्य पालन अब केवल एक व्यवसाय नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की मिसाल बन चुका है। यह क्षेत्र न केवल स्थानीय स्तर पर पौष्टिक आहार उपलब्ध करा रहा है, बल्कि रोजगार सृजन और आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।