Kalangpur: छत्तीसगढ़ में दिवाली के बाद भाई दूज के दिन से ही मातर तिहार शुरु हो जाता है। मातर तिहार में गांव में छोटे मेले का आयोजन किया जात है। गुंडरदेही के पास के एक गांव कलंगपुर (kalangpur)में मातर तिहार को बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस त्योहार की थीम ने इसे दूसरे गांवों के मातर से अलग बनाया। मातर की थीम महिला सशक्तिकरण और महतारी वंदन योजना (mahatari vandan yojna)रखी गई थी।
आधे एकड़ में बनाई गई रंगोली
मातर (matar)के उत्सव के लिए गांव के गौठान में लगभग आधे एकड़ में विशाल रंगोली (big rangoli) बनाई गई थी। पहले ही इस जगह को साफ कर गोबर ले लीप लिया गया था। यहां पर महतारी वंदन योजना की थीम पर बड़ी गोलाकार आकृति बनाई गई थी। सर्कल के बीच में कमल प र बैठी एक महिला को दिखाया गया था और नीचे महतारी वंदन योजना लिखा गया था। रंगोली के बाहरी बड़े सर्कल में गढ़बो नवा कलंगपुर (kalangpur)और ग्राम पंचायत कलंगपुर आपका हार्दिक अभिनंदन करता है लिखा गया था
ये सुंदर रंगोली इतने बड़े इलाके में बनाई गई थी कि इसे एरियल व्यू से ही पूरी तरह से देखा जा सकता था।
200 लोगों ने किया सुवा नृत्य
इस विशाल रंगोली के चारों तरफ गांव महिलाओं, युवतियों और बच्चियों ने पारंपरिक परिधान में सुवा नृत्य किया। एकसाथ इतनी बड़ी संख्या में किया गया सुवा नृत्य देखने में बेहद खूबसूरत नजर आ रहा था। गांव में हर साल महिलाओं और बालिकाओं की प्रतिभा को आगे लाने के लिए यह आयोजन किया जाता है। महिला सशक्तिकरण की थीम पर मातर का यह 9वां आयोजन था।
क्या होता है मातर तिहार
मातर तिहार छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोक त्योहारों में से एक है। यह त्योहार दिवाली के भाई दूज के अगले दिन मनाया जाता है। कुछ गांवों में दिवाली के लगभग एक हफ्ते बाद भी मातर मनाया जाता है। मातर में मा का मतलब माता से और तर का मतल उनकी शक्तियों से है। मातर में गांव के देवी देवताओं को पूजा जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से यादव समाज के लोगों के द्वारा मनाय जाता है। लेकिन त्योहार में पूरा गांव हिस्सा लेता है।