Ashok Chakradhari: छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग अपने पारंपरिक शिल्प और हुनरमंद कारीगरों के लिए जाना जाता है। ऐसी ही एक कला के लिए जाने जाते हैं अशोक (Ashok Chakradhari) च्रकधारी। अशोक कोंडागांव जिले के मसौरा ग्राम पंचायत के कुम्हार पारा में रहते हैं।उनका बनाया हुआ एक खास दिया देशभर में मशहूर है। इस दिए को बनाते उन्हें अब करीब 3 साल हो चुके हैं। अशोक के पास दिल्ली, मुंबई और भोपाल जैसे शहरों से भी ऑर्डर आते हैं।
जादुई दिए के नाम से हुआ मशहूर
अशोक (Ashok Chakradhari)का बनाया दिया ‘जादुई दिए’ के नाम से मशहूर हो गया है। यह खास इसलिए है क्योंकि इसमें तेल सूखने के बाद अपने आप तेल भर जाता है। यह दिया लगातार 24 घंटे तक जल सकता है। इस दिए को दो भागों में बनाया गया है। नीचे के हिस्से में बत्ती लगाई जाती है, जबकि ऊपर के हिस्से में तेल भरा जाता है। तेल कम होते ही ऊपर से धीरे-धीरे तेल नीचे आ जाता है और दिया जलता रहता है।
कैसे काम करता है यह दिया?
दिये के निचले हिस्से में गोलाकार आधार होता है, जिसमें बत्ती लगाई जाती है। ऊपर के हिस्से में तेल भरने के लिए एक छोटी मटकी जैसा पॉट होता है जिसमें एक नलकी भी होती है। मटकीनुमा पॉट में तेलभरकर उसे दिए वाले हिस्से में फिट कर दिया जाता है। फिट करते ही मटकी से तेल दिए में गिरता है।
यह दिया वैक्यूम सिस्टम पर काम करता है। नीचे दिए में एक होल होता है वो जब तक तेल से ढका होता है उपर वाले पॉट से तेल नहीं गिरता। जैस ही दिए में तेल कम होता है होल से हवाजाती है और वैक्यूम क्रिएट होता है जिससे फिर उपर के तेल पॉट से दिए में तेल भर जाता है।
बेहतरीन मूर्तिकार भी हैं अशोक
(Ashok Chakradhari)अशोक चक्रधारी कच्ची मिट्टी से अद्भुत कलाकृतियां बनाते हैं। वह बोलती हुई तस्वीरें और जीवंत मूर्तियां तैयार करते हैं। उन्होंने बस्तर की पारंपरिक शिल्पकला ‘झिटकू-मिटकी’ के नाम से एक कला केंद्र भी स्थापित किया है। उनके इसी हुनर के चलते पिछले साल केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय ने उन्हें प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया था।
बढ़ रही है जादुई दिये की मांग
अशोक चक्रधारी के इस जादुई दिये की मांग बढ़ती जा रही है। वह साल उन्होंने सिर्फ 30 दिये बनाए थे लेकिन देशभर से आ रही मांग के चलते उन्हें रोजाना लगभग 100 दिये बनाने होते हैं। उनकी बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए 10 और साथी उनकी मदद कर रहे हैं। दिवाली के समय इन दियों की मांग और बढ़ जाती है।