छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले का छोटा सा गांव कमलाडांड़ अब एक नई पहचान बना रहा है। इस पहचान के पीछे हैं यहां के किसान एबी अब्राहम, जिन्होंने पारंपरिक खेती से हटकर डचरोज (गुलाब) की खेती को अपनाया और आत्मनिर्भरता की एक नई मिसाल पेश की। उनकी मेहनत और छत्तीसगढ़ सरकार के उद्यानिकी विभाग के सहयोग से अब कमलाडांड़ का नाम न केवल प्रदेश बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों में भी सुगंधित हो रहा है।
परंपरागत खेती से हटकर गुलाब की खेती
कमलाडांड़ के अधिकांश किसान पहले गेहूं, धान और मक्का जैसी पारंपरिक फसलों की खेती करते थे। लेकिन एबी अब्राहम ने कुछ अलग करने की ठानी। उन्होंने एक एकड़ भूमि में गुलाब की खेती शुरू की। शुरुआती जोखिम और चुनौतियों के बावजूद, डचरोज की खेती ने उन्हें न केवल पहचान दिलाई, बल्कि आर्थिक रूप से भी उन्हें सशक्त बनाया।
आर्थिक सफलता और रोजगार के अवसर
एबी अब्राहम द्वारा उगाए गए गुलाब की मांग आज सरगुजा संभाग और मध्यप्रदेश के सीमावर्ती शहरों में तेजी से बढ़ रही है। गुलाब की खेती से उन्हें पारंपरिक फसलों की तुलना में कई गुना अधिक मुनाफा हो रहा है। इस खेती की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें कम लागत की जरूरत होती है, जिससे किसानों को बेहतर आर्थिक लाभ मिल रहा है।
साथ ही, फूलों की खेती से रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न हो रहे हैं। खेतों में फूलों की देखभाल, तुड़ाई, पैकिंग, और परिवहन के कार्यों के लिए स्थानीय युवाओं को भी काम मिल रहा है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की संभावनाएं बढ़ रही हैं।
सरकारी सहयोग और तकनीकी सहायता
एबी अब्राहम की सफलता के पीछे राज्य सरकार का महत्वपूर्ण योगदान है। छत्तीसगढ़ सरकार का उद्यानिकी विभाग फूलों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। एबी अब्राहम जैसे किसानों की मेहनत और सरकार की सक्रिय भूमिका के कारण कमलाडांड़ में फूलों की खेती को नई दिशा और गति मिली है।
सामाजिक और पर्यावरणीय बदलाव
डचरोज की खेती न केवल एबी अब्राहम की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही है, बल्कि पूरे कमलाडांड़ गांव का माहौल भी बदल रहा है। गुलाबों की खुशबू से पूरा गांव महक रहा है, जिससे पर्यावरण में भी सकारात्मक बदलाव देखा जा रहा है। इसके साथ ही, अब्राहम की सफलता ने अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है, जो अब परंपरागत खेती से हटकर फूलों की खेती की ओर रुझान दिखा रहे हैं।
नए आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम
एबी अब्राहम की डचरोज खेती की कहानी सिर्फ उनकी व्यक्तिगत सफलता तक सीमित नहीं है। यह कहानी पूरे कमलाडांड़ गांव में आत्मनिर्भरता और समृद्धि का संदेश फैला रही है। उनके इस सफर ने न केवल उन्हें समाज में एक नई पहचान दिलाई, बल्कि यह भी दिखाया कि सही दिशा में उठाए गए कदम और सरकार के सहयोग से कोई भी किसान अपने जीवन में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।
Positive सार
कमलाडांड़ के एबी अब्राहम ने दिखा दिया है कि यदि साहस और मेहनत हो, तो किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल की जा सकती है। उनकी डचरोज की खेती ने गांव को एक नई पहचान दी है और यह संदेश दिया है कि आत्मनिर्भरता की राह में खेती भी एक महत्वपूर्ण साधन हो सकती है।