Nobel Prize: क्या है नोबल प्राइज का इतिहास, कितने भारतीय हुए हैं सम्मानित

Nobel Prize: नोबेल प्राइज दुनिया का सबसे बड़ा और प्रतिष्ठित पुरस्कार है। यह फिजिक्स, कैमेस्ट्री, मेडिकल, इकोनॉमिक्स, शांति और साहित्य के क्षेत्र में दिया जाता है। हर कैटेगिरी के लिए एक्सपर्ट्स की कमेटी होती है जो लोगों का चुनाव करती है। आइए जानते हैं नोबल प्राइज से जुड़े कुछ जरूरी फैक्ट्स के बारे में।  

तीन संस्थाएं तय करती हैं प्राइज

नोबल प्राइज (Nobel Prize)किसे दिया जाना है ये अलग-अलग 3 एकेडिमी तय करती है। कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट मेडिसिन के क्षेत्र में नोबेल प्राइज देती है। द रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेस फिजिक्स, इकोनॉमिक्स और कैमेस्ट्री में नोबल देती है। वहीं नॉर्वेजियन नोबेल समिति शांति के क्षेत्र में नोबेल देती है।

क्यो दिया जाता है नोबल प्राइज ?

नोबल प्राइज स्वीडिश वैज्ञानिक अल्फ्रेड बर्नाड नोबेल (alfred vernad nobel) की याद में दिया जाता है। यह प्राइज नोबेल फाउंडेशन ऑर्गेनाइज करती है। साइंटिस्ट अल्फ्रेड नोबल ने 1896 में ही अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा ट्रस्ट के लिए रख दिया था। उन्होंने पहले ही तय कर लिया था कि उनके पैसे का उपयोग मानव कल्याण के लिए किए गए काम को सम्मानित करने के लिए किया जाए। स्वीडिश बैंक में जमा उनके पैसे से आने वाले ब्याज से ही नोबेल पुरस्कार(Nobel Prize) दिया जाता है।

क्या है नोबल फाउंडेशन?

नोबल फाउंडेशन  का मुख्य काम नोबल प्राइज को ऑर्गेनाइज करना और उसके लिए राशि देना है। नोबल फाउंडेशन की स्थापना 29 जून 1900 को हुई और 1901 से नोबल पुरस्कार दिया जाना शुरु कर दिया गया। इस फाउंडेशन में 5 मेंबर्स की टीम होती है। फाउंडेशन का अध्यक्ष किंग ऑफ काउन्सिल द्वारा चुना जाता है। बचे चार मेंबर्स को प्राइज डिस्ट्रीब्यूशन इंस्टिट्यूट के ट्रस्टी चुनते है।

कब दिया जाता है नोबल पुरस्कार?

नोबल पुरस्कारों की घोषणा अक्टूबर में ही कर दी जाती है। लेकिन इस प्राइज को अल्फ्रेड नोबल की पुण्य तिथि यानी 10 दिसंबर को दिया जाता है। नोबल पुरस्कार स्टॉकहोम में स्वीडिश किंग के हाथों दिया जाता है। नोबल प्राइज पाने वाले विनर को एक मेडल, एक डिप्लोमा और एक मोनेटरी अवॉर्ड दिया जाता है।

महान वैज्ञानिक थे अल्फ्रेड नोबल

अल्फ्रेड बर्नाड नोबेल वर्ल्ड के ग्रेटेस्ट साइंटिस्ट्स में से एक हैं। उनका जन्म1833 को स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुआ थआ। उन्होंने सन 1867 में डाइनामाइट की खोज की थी। अपनी पूरी लाइफ के दौरान उन्होंने कुल 355 इंवेन्शन किए थे। इटली में 10 दिसंबर 1896 को हार्ट अटैक आने से नोबल अल्फ्रेड का निधन हो गया।

भारतीय जिनको मिला नोबल प्राइज

अब तक कुल 10 भारतीय लोगों को नोबल पुरस्कार मिल चुका है। जो इस तरह है

  • रविंद्रनाथ टैगोर को  साहित्य के लिए
  • हरगोविंद खुराना को मेडिसिन के क्षेत्र में
  • सीवी रमण को भौतिकी के क्षेत्र में
  • वीएएस नायपॉल को साहित्य के क्षेत्र में
  • वेंकट रामाकृष्णन को केमिस्ट्री के क्षेत्र में
  • मदर टेरेसा के शांति के क्षेत्र में
  • सुब्रहमण्यम चंद्रशेखर को शांति के क्षेत्र में
  • कैलाश सत्यार्थी को शांति के क्षेत्र में
  • आर के पचौरी, अमर्त्य सेन, अभिजीत बनर्जी को अर्थशास्त्र में
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Rishita Diwan

Content Writer

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