Royal Dussehra Of India: दुनिया भर में प्रसिद्ध है ये दशहरा!

Royal Dashahra Of India: भारत को विविधताओं से भरा देश माना जाता है। यहां मनाए जाने तरह-तरह के त्योहार इसे त्योहारों का देश भी बनाता है। भारत में एक ही त्योहार को की अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। यहां हम आपको देश में भव्य तरीके से मनाए जाने वाले दशहरे के बारे मे बतान जा रहे हैं। इनमें से कुछ जगहों पर दशहरा मनाने का तरीका बेहद अनोख है।

मैसूर का दशहरा

देश का सबसे भव्य और (Royal Dashahra Of India)रॉयल दशहरा होता है कर्नाटक के मैसूर का दशहरा। यहां दशहरे पर रावण के पुतले का दहन नहीं होता है। यहां दशहरे पर सांस्कृतिक कार्यक्रम खेल-कूद, गोम्बे हब्बा, जम्बो सवारी जैसे पारंपरिक प्रतियोगिताओं का आयोजन  होता है। दशहरे का उत्सव यहां नवरात्री के पहले दिन से शुरु हो जाता है। दसमी के दिन सोने-चांदी से सजे हाथियों की शाही सवारी महल से निकाली है। इस सवारी को  21 तोपों की सलामी भी दी जाती है।

महल से निकलकर सवारी 6 किलोमीटर दूर बन्नी मंडप तक जाती है। इस काफिले की खास बात इसमें शामिल हाथी हैं। इन हाथियों की पीठ पर 750 किलो का सोने सिंहासन रखा होता है। सिंहासन पर माता चामुंडेश्वरी की मूर्ति रखी जाती है। इस सिंहासन को अम्बारी कहते हैं। पहले इस सिंहासन पर मैसूर के राजा बैठकर अपना काफिला निकालते थे। 1971 में राजशाही खत्म किए जाने के बाद से देवी को बैठाने की परंपरा शुरु की गई।

बस्तर दशहरा

छत्तीसगढ़ के बस्तर में मनाया जाने वाला दशहरा पूरी दुनिया में मशहूर है। यह पूरे विश्व का सबसे लंबा चलने वाला त्योहार है। बस्तर दशहरा 75 दिनों तक चलने वाला दुनिया का सबसे  लंबा त्योहार है। यहां  600 साल पुरानी परंपरा के अनुसार दशहरे का त्योहार मनाया जाता है। बस्तर में भी दशहरे पर रावण दहन नहीं होता है।

यह दशहरा (Royal Dashahra Of India)कई रिवाजों को पूरा करते हुए मनाया जाता है। यहां 6 साल की बच्ची को काछन देवी कहा जा है , काछन देवी से ही दशहरा मनाने की अनुमति मिलती है। बस्तर में भी विजयादशमी के दिन राजा की सवारी निकाली जाती है। इस दिन राजा अपनी प्रजा की समस्याओं को सुनने के लिए मुड़िया दरबार लगाते हैं।  

मैंगलोर का दशहरा

मैंगलोर का दशहरा भी विश्व प्रसिद्ध दशहरा है। दशहरे पर यहां भव्य रैली निकलती है जिसे रथोत्सव कहते हैं। इस दौरान मंगलोर के गली, रोड, दुकानें और मकान सभी दिवाली की तरह सजाए जाते हैं। दशहरे पर यहां होने वाला टाइगर डांस खास आकर्षण होत है। इतना ही नहीं शोभा यात्रा का बैंड, चेंडे, लोक नृत्य, यक्षगान पात्र, हुली वेशार, डोलू कुनिथा और गुड़ियां भी देशभर में मशहूर है। यहां निकलने वाली शोभा यात्रा विजयादशमी की शाम को गोकर्णनाथेश्वर मंदिर से शुरू होती है और रात भर शहर में घूमने के बाद अगले दिन सुबह-सुबह मंदिर परिसर के पुष्करिणी तालाब में मूर्तियों के विसर्जन के साथ खत्म होती है।

विजयवाड़ा

आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा में मनाया जाने वाला दशहरा पूरे देश में मशहूर है। यहां दशहरे की शुरुआत कृष्णा नदी के किनारे बने श्री कनका दुर्गा मंदिर से होती है। यहां दशहरे का त्योहार नवरात्री से शुरुहोकर दशमी तक 10दिनों तक मनाया जाता है। कनक दुर्गा देवी को दस दिनों तक अलग-अलग अवतारों में सजाया जाता है। विजयवाड़ा कनक दुर्गा मंदिर को भी दुल्हन की तरह सजाया जाता है। यहां दशहरा पर मां सरस्वती की खास पूजा होती है। विजयादशमी के दिन लोग कृष्णा नदी में डुबकी लगाने भी आते हैं।

कुल्लु का दशहरा

हिमाचल के कुल्लु का दशहरा अपने आप में अलग और अद्भुत है। यहां किसी तरह का रावण दहन नहीं होता है। यहां दशहरे की शुरुआत यहां के राजा ने की थी। राजा ने कुष्ठ से उबरने पर दशहरा मनाने की घोषणा की थी। मान्यता है उस उत्सव में 365 देवी और देवता शामिल हुए थे। यहां के दशहरे को देवताओं का कुंभ भी कहा जाता है। दशहरे के दिन यहां रघुनाथ भगवान की रथयात्रा निकाली जातीहै। मान्यता है रथ के पीछे सभी देवी-देवता चलते हैं। इस दशहरे को देखन के लिए लोग विदेश से भी आते हैं।

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Rishita Diwan

Content Writer

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