Ramnami community: आपने राम के कई भक्त देखे होंगे, कोई राम के नाम पर मंदिर बनवाता है तो कोई राम के नाम पर धर्म का काम करता है। लेकिन हम आपको एक पूरे समुदाय के के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपना पूरा जीवन ही राम के नाम कर दिया है। जिन्होंने राम के नाम पर कोई धर्म का काम नहीं किया, बल्की अपने मन के साथ अपना तन भी राम को समर्पित कर दिया है। वो समुदाय है ‘रामनामी समुदाय’। आइए विस्तार से जानते हैं क्यों इतने खास हैं रामनामी समुदाय के लोग।
कौन हैं रामनामी समुदाय के लोग?
रामनामी समुदाय राम भक्त लोगों का एक समूह है। जो छत्तीसगढ़ के बस्तर और जांजगीर-चांपा जिले में रहते हैं। इस समुदाय के लोग अपने पूरे शरीर पर राम नाम का गोदना गुदवा लेते हैं। सर पर मोर पंख लगा हुआ मुकुट पहने होते हैं। मुकुट भी राम नाम से भरा होता है। इस समुदाय में महिला और पुरुष दोनों ही रामनामी होते हैं। इनका पहनावा भी इनकी पहचान है। ये सफेद रंग के कपड़े पहनते हैं और साथ में राम नाम लिखी हुई चादर भी ओढ़कर रखते हैं।
पांच प्रतीक है इनकी पहचान
राम से जुड़ी पांच ऐसी चीजें है जो इस समुदाय का प्रतीक बन चुकी है। पहली है भजन खांब (खम्बा), राम नाम का गोदना, मोरपंख से बना मुकुट, घुंघरू के साथ राम भजन और राम नाम की चादर। इस समुदाय के सभी लोग इन सभी पांच प्रतीकों का पालन करते हैं।
कहा जाता है राम नामी समुदाय की स्थापना के पीछे सामाजिक कुप्रथा से लड़ने की कहानी है। पुराने समय में कुछ जातियो को उच्च जाती के लोग मंदिर में घुसने नहीं देते थे। ऐसे में इन जातियों ने अपने शरीर को ही मंदिर का रूप दे दिया और पूर शरीर में राम नाम गुदवाना शुरु कर दिया। इसकी शुरुआत 1890 के करीब सतनामी समाज के परशुराम नाम के युवक ने की थी।
राम नामी समुदाय की स्थापना कैसे हुई?
धीरे-धीरे लोग उनके विचारों से सहमत होते चले गए और शरीर पर राम नाम गुदवादे चले गए। इस तरह से धीरे-धीरे ऐसे लोगों का एक पूरा समुदाय ही तैयार हो गया। इन्होंने अपने समाज को रामनामी नाम दिया। बाद में उनकी पीढ़ियों ने भी इस परंपरा को निभाया और आज भी निभा रहे हैं।
मूर्ति पूजा नहीं करता है समुदाय
रामनामी राम के भक्त तो हैं पर ये लोग कभी भी मूर्ति पूजा नहीं करते हैं। इनका कहना है हमारा शरीर ही हमारा मंदिर है। इस समुदाय के लोग ‘राम चरित मानस’ की पूजा करते हैं। इनका मानना है कि दुनिया की हर एक चीच, जीव जंतु, पौधे, पहाड़ में राम बसते हैं। उन्हें किसी मंदिर या मूर्त की जरूत नहीं है। एक दूसरे से मिलने पर भी ये लोग राम-राम कहकर ही अभिवादन करते हैं।
राम मंदिर से आया था निमंत्रण
अयोध्या में जब राम मंदिर में राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी, तब मंदिर ट्रस्ट की तरफ से रामनामी समुदाय को विशेष निमंत्रण भेजा गया था। निमंत्रण को खुशी-खुशी स्वीकार करके रामनामी समुदाय के कुछ लोग अयोध्या गए थे।