Ganesh Tempal of Chhattisgarh: प्राचीन गणेश मंदिर और मान्यताएं!

छत्तीसगढ़ में भगवान गणेश के कई प्राचीन मंदिर हैं। ये सभी मंदिर पुरातत्विक खोज के दौरान पाए गए हैं। इन पुराने मंदिरों को देखकर यह कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ में काफी पुराने समय से ही भगवान गणेश की पूजा की जा रही है। जानते हैं प्रदेश में कहां-कहां भगवान गणेश के पुरातन मंदिर स्थिति है। 

बारसूर के जुड़वा गणेश

बस्तर के बारसूर में जुड़वा गणेश मंदिर के नाम से प्राचीन गणेश मंदिर है। यहां गणेश जी की 2 मूर्तियां  स्थापित है इसलिए इसे जुड़वा गणेश मंदिर कहते हैं। गणेश जी की एक मूर्ति की ऊंचाई 7 फीट है जो विश्व की तीसरी सबसे ऊंची गणेश प्रतिमा है। दूसरी मूर्ति 5 फीट है। ये दोनों मूर्तियां एक ही पत्थर को काट कर बनाई गई है।

इस मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि इसे बारसूर के राजा बाणासुर ने बनवायाय था। राज्य की राजकुमारी गणेश जी की भक्त थी लेकिन राज्य में एक भी गणेश मंदिर नहीं था। इसलिए राजा ने अपनी राजकुमारी के लिए इस गणेश मंदिर की स्थापना कराई थी।

ढोलकल गणेश

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में बैलाडीला की पहाड़ी पर विराजित ढोलकल गणेश अपने आप में रहस्यमयी है। यहां गणेश जी की प्रतिमा पहाड़ी पर ढाई हजार फीट पर स्थापित है। यह मूर्ति काले ग्रेनाइट से बनी है। लेकिन इसे पहाड़ी पर ही बनाया गया या बनाकर किसी ने पहाड़  पर स्थापित कराया इस रहस्य का खुलासा आज तक नहीं हुआ है। कुछ जानकारों का कहना है कि इसे 11वीं शताब्दी में छिंदक नागवंशी राजाओं ने स्थापित कराया था। लेकिन इसके सटीक प्रमाण नहीं मिले हैं।

2017 में साढ़े तीन फीट की इस सुंदर प्रतिमा को नक्सलियों ने पहाड़ी से गिरा दिया था। बाद में मूर्ति के हिस्से ढूंढ कर फिर से स्थापित किया गया। इस प्रतिमा के पीछे मान्यता है कि यहां भगवान गणेश और परशुराम जी का युद्द हुआ था जिसमें गणेश जी की एक दांत टूट गया था। ढोलकल गणेश अपने हाथ में टूटा हूआ दांत पकड़े हुए भी हैं। कहा जाता है युद्द के समय परशुराम का फरसा इसी स्थान पर गिर गया था इसलिए इस जगह को फरसपाल कहा जाता है।

कपिलेश्वर मंदिर

बालोद में स्थित कपिलेश्व मंदिर 6 मंदिरों का समूह है। सभी मंदिरों में अलग-अलग देवी देवता स्थापित हैं। इनमें से दूसरे मंदिर में भगवान गणेश की 6 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है। यह मंदिर 13वीं  से 14वीं शताब्दी के बीच नागवंशी शासको द्वारा कराया गया था। इस गणेश मंदिर की एक और खासियत है कि मंदिर का शिखर पीड़ा देवल प्रकार से बनाया गया है। भगवान गणेश का इस तरह का मंदिर बहुत कम देखने को मिलता है।

नवागढ़ का सिद्द गणेश मंदिर

बेमेतरा जिले से 25 किलोमीटर दूर नवागढ़ में सिद्द  गणेश मंदिर स्थापित है। कहा जाता है यहा स्थापित गणेश जी स्वयंभू हैं। ये मूर्ति शमी पेड़  के नीचे से निकली थी। बाद में मूर्ति को तांत्रिक विद्या से स्थापित किया गया । इस मंदिर का निर्माण नवागढ़ के राजा नरबर साय ने कराया है। शमी पेड़ से निकलने के कारण इस मंदिर को शमी गणेश भी कहते हैं। अभी भी मंदिर के ठीक सामने शमी का विशाल पेड़ है। गणेश जी को प्रिय शमी का मंदिर के सामने होना बेहद ही शुभ और दुर्लभ संयोग माना जाता है।

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Rishita Diwan

Content Writer

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