Life in space: 5 जून से अंतरिक्ष यात्रा पर निकलीं यात्री सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर की वापसी में देरी हो रही है। दोनों एस्ट्रॉनॉट्स 8 दिनों की यात्रा पर रवाना हुए थे। लेकिन स्पेसशिप बोईंग स्टारलाइनर में हीलियम लिकेज के कारण इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में फंस गए हैं। अब उन्हें आठ महीनों तक अंतरिक्ष में ही रहना पड़ सकता है। क्या आप जानते हैं अंतरिक्ष यात्री किन परिस्थितियों में अंतरिक्ष में रहते हैं। धरती से ठीक उलट परिस्थियों में कैसे वो खुद को स्वस्थ रखते हैं। आइए जानते हैं रोमांच और चुनौतियों से भरी अंतरिक्ष की दुनिया को।
बिना ग्रैविटी जीवन
अंतरिक्ष में ग्रैविटी या गुरुत्वाकर्षण नहीं होता जिसकी वजह से हर चीज का ध्यान रखना होता है। धरती पर ग्रैविटी की वजह से हम आसानी से चल फिर सकते हैं सामान जहां चाहें वहां रख सकते हैं और सामान्य तरीके से खाना-पीना कर सकते हैं। लेकिन अंतरिक्ष में हर चीज हवा में रहती है इस वजह से डेली रूटीन के कामों में भी दिक्कत आती है। गुरुत्वाकर्षण ना होने से किसी भी काम को करने में मांसपेशियों पर जोर नहीं पड़ता जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन भी प्रभावित होता है। जब एस्ट्रॉनॉट वापस ग्रैविटी के संपर्क में आते हैं तो उन्हें ठीक तरह से चलने में कुछ समय लगता है।
स्पेस में कैसा होता है खाना ?
अंतरिक्ष में यात्रियों को इस तरह का खाना खाने की इजाजत होती है जिसमें नमी कम से कम हो। इसके लिए खास तरह का भोजन तैयार किया जाता है जिसे थर्मो-स्टेबलाइज्ड फूड या हीट प्रोसेस्ड फूड कहते हैं। खाने की इन चीजों को विशेष फ्रीजिंग टेक्नोलॉजी से बनाया जाता है जिससे खाने की चीजों में कम से कम पानी हो। शुरुआत में जब इंसान अंतरिक्ष पर पहुंचा तब टेक्नोलॉजी उतनी विकसित नहीं हुई थी। तब अंतरिक्ष यात्री कम नमी वाले बेबी फूड को भोजन के रूप में खाते थे।
पानी के इंजेक्शन रखते हैं साथ
एस्ट्रॉनॉट्स कुछ ऐसा खाना भी साथ रखते हैं जिन्हें पानी के साथ खाया जाता है, ऐसी चीजों के लिए उन्हें पानी को इंजेक्शन्स में भरकर एक कंटेनर में रखकर दिया जाता है। लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने पर अंतरिक्ष यात्रियों को अपना यूरिन रिसाइकिल करके भी उपयोग में लाना पड़ता है। अंतरिक्ष यात्रियों को अपने वजन के हिसाब से खाने की मात्रा तय करनी होती है और उतना ही खाना, खाना होता है।
पृथ्वी से उलट होता है जीवन
अंतरिक्ष में रहना जितना रोमांचक लगता है उतना ही चुनौतियों से भरा हुआ होता है। वहां अंतरिक्ष यात्रियों को नहाने के लिए शावर या पानी नहीं मिलता। अंतरिक्ष यात्री गीले तौलिए से स्पॉन्जिंग करके अपने हाइजीन को मेंटेन करते हैं। शरीर से निकलने वाले हर प्रकार के तरल पदार्थ का बड़ी सावधानी से मैनेजमेंट करना होता है। यहां तक की पसीने औ सांस से निकलने वाली नमी को लेकर भी सावधानी बरतनी होती है। गुरुत्वाकर्षण ना होने की वजह से रेडिएशन का भी खतरा बना रहता है। स्पेस में हर 90 मिनट में सूर्योदय और सूर्यास्त की आदत डालनी पड़ती है।
अलग तरह के टॉयलेट का इस्तेमाल
अंतरिक्ष में ग्रैविटी कम होने की वजह से वहां सक्शन पर काम करने वाला टॉयलेट होता है। दिखने में आम टॉयलेट की तरह दिखने वाले सिस्टम में रबर का एक बैग लगा होता है जो एक सक्शन के जरिए सभी पदार्थ को एक जगह इकट्ठा कर लेता है। यूरीन के लिए अंतरिक्ष यात्री एक नली का उपयोग करते हैं जो एक कंटेनर से कनेक्टेड होता है जो यूरिन को भी सक्शन के जरिए कंटेनर में जमा कर लेता है।
इससे पहले भी अंतरिक्ष में फंसे हैं यात्री
आपको बता दें यह पहला मौका नहीं है जब कोई अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष पर फंसा हो। इससे पहले भी कुछ मौकों पर ऐसा हुआ था।
- 1979 में सोयूज स्पेसशिप का इंजन फेल होने से सैल्यूट स्टेशन में अंतरिक्ष यात्री फंसे थे। जिनकी वापसी महीनों बाद हुई थी।
- 1991 में अंतरिक्ष यात्री सर्गेई क्रिकलयेव मीर अंतरिक्ष स्टेशन में फंस गए थे। उन्हें तय समय से 311 दिन बाद वापस लाया गया था।
- 2003 में कोलंबिया स्पेस शटल में आग लगने की घटना हुई थी। जिसके बाद 3 अंतरिक्ष यात्री ISS में फंस गए थे।
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Positive सार
अंतरिक्ष में जीवन और दूसरे ग्रहों से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करने के लिए अलग-अलग देश के अंतरिक्ष यात्री स्पेसशिप में यात्रा करते हैं। कठिन परिस्थियों में वो अंतरिक्ष में समय बिताते हैं साथ ही अंतरिक्ष में भविष्य की संभावनाओ की भी तलाश करते हैं। पहले भी ऐसा हुआ है जब अंतरिक्ष यात्री कठिन परिस्थितों में अंतरिक्ष में फंसे हों। लेकिन सभी को सुरक्षित धरती पर वापस ले आया गया था। सुनीता विलियम्स और विलमोर की भी फरवीर 2025 में सुरक्षित वापसी की संभावना है।