Hockey in Olympic: हॉकी देश का नेशनल गेम है और हॉकी को मिले इस दर्जे का मान भी रखा गया। एक समय ऐसा था जब भारतीय हॉकी टीम मजबूत टीमों में मानी जाती थी। इनके सामने किसी का टिकना आसान नहीं होता था । भारत ने ओलंपिक 1928 से 1980 तक हॉकी में 8 गोल्ड अपने नाम किया। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है और भारत के नाम दर्ज है।
एम्सटर्डम 1928
1928 में एम्स्टडर्म हुए ओलंपिक में इंडियन हॉकी टीम ने पहली बार हिस्सा लिया और पहली बार में ही गोल्ड मेडल हासिल किया था। पहली बार हिस्सा लेन के बावजूद भारतीय खिलाड़ियों ने ऐसा खेल दिखाया, कि पूरी दुनिया देखते रह गई थी। पूरे टूर्नामेंट में भारत ने 5 मैच खेले और इन पांचों मैच में भारतीय खिलाड़ियों ने सामने वाली टीम को खाता भी नहीं खोलने दिया। कप्तान जयपाल सिंह की कप्तानी में भारत ने कुल 29 गोल किए जिसमें अकेले मेजर ध्यानचंद ने 14 गोल किए थे।
8 गोल्ड समेत 12 मेडल हमारे पास
भारतीय हॉकी टीम का ओलंपिक को लेकर इतिहास बेहद शानदार रहा। 1928 में शुरु हुआ गोल्ड मेडल का सिलसिला 8 गोल्ड जीतने तक जारी रहा। इंडियन हॉकी टीम ने 1928, 1932, 1936, 1948, 1952, 1956, 1964 और 1980 ओलंपकि में गोल्ड अपने नाम किया है। इसके बाद 1960 में सिल्वर, 1968, 1972 और 2020 में हुए टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। इस तरह भारत के नाम 8 गोल्ड समेत कुल 12 ओलंपिक मेडल्स हैं।
1936 में हिटलर से सामने खेले मेजर ध्यानचंद
1936 में बर्लिन में हुए ओलंपिक में भी भारतीय हॉकी टीम ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था। जर्मनी के साथ हुए प्रैक्टिस मैच में भारत, जर्मनी को हरा दिया था। फाइनल मुकाबला 15 अगस्त को जर्मनी के साथ ही होना था। दर्शकों में जर्मन तानाशाह हिटल भी मौजूद था। यह मैच काफी रोमांचक था। फर्स्ट हॉफ में मेजर ध्यानचंद चोटिल होने की वजह से मैच से बाहर हो गए थे। सेकंड हॉफ में उन्होंने वापसी की और इस बार वो नंगे पैर ही मैदान पर उतरे। ध्यानचंद नंगे पैर ज्यादा तेजी से दौड़ पाते थे। आखिरी में भारत ने मैच जीता और गोल्ड पर कब्जा किया।
जब गुलाम देश से हार बर्दाश्त नहीं कर पाया था ब्रिटेन
इंग्लैंड एक मजबूत हॉकी टीम मानी जाती थी उन्होंने 1908 और 1920 में ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था। लेकिन उन्हें भी एक अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भारत से हार का सामना करना पड़ा था था। ब्रिटेन को ये हार लंदन में आयोजित फोकस्टोन महोत्सव में हुए हॉकी मैच में मिली थी। इस हार के बाद 1928 में हए ओलंपिक से ब्रिटेन ने अपनी हॉकी टीम का नाम ही वापस ले लिया था। जिसका कारण भारत का ओलंपिक में शामिल होना था, कहा जाता है कि अपने ही गुलाम देश से हार ब्रिटेन बर्दाश्त नहीं कर सकता था।