Farming in India: कैसे बदल रहा है भारत में खेती का स्वरूप?

भारत, जो प्राचीन काल से कृषि प्रधान देश रहा है, आज अपनी खेती की तकनीकों में व्यापक बदलाव देख रहा है। पारंपरिक खेती से आधुनिक कृषि तकनीकों की ओर बढ़ते हुए, भारतीय कृषि ने उत्पादन बढ़ाने, खेती की प्रक्रिया को अधिक कुशल बनाने, और किसानों की जीवनशैली में सुधार लाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। यह लेख भारत में वर्तमान खेती की तकनीकों और उनके प्रभावों पर प्रकाश डालता है।

1. सटीक खेती (Precision Farming)

सटीक खेती एक उन्नत कृषि तकनीक है जिसमें विभिन्न प्रकार के सेंसर, उपग्रह और ड्रोन का उपयोग किया जाता है। यह तकनीक मिट्टी की उर्वरता, नमी स्तर, और पौधों की स्वास्थ्य स्थिति का सटीक मापन करती है। किसानों को सही मात्रा में पानी, उर्वरक और कीटनाशक का उपयोग करने की सलाह दी जाती है, जिससे उत्पादन में वृद्धि होती है और संसाधनों की बचत होती है। सटीक खेती से न केवल फसल की उपज बढ़ती है, बल्कि पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

2. ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर सिस्टम

ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर सिस्टम पानी की बचत के लिए अत्यधिक प्रभावी तकनीकें हैं। ड्रिप सिंचाई में पौधों की जड़ों में सीधे पानी की बूंदें डालकर सिंचाई की जाती है, जिससे पानी की बर्बादी कम होती है। स्प्रिंकलर सिस्टम में, पानी को हवा में स्प्रे करके सिंचाई की जाती है, जो विशेष रूप से बड़ी फसलों के लिए उपयुक्त है। इन तकनीकों का उपयोग किसानों को जल संकट से निपटने में मदद करता है और जल संसाधनों के उपयोग में सुधार करता है।

3. जैविक खेती (Organic Farming)

जैविक खेती एक ऐसी तकनीक है जो रसायनों और सिंथेटिक पदार्थों का उपयोग किए बिना खेती करती है। इसमें जैविक खाद, हरी खाद, जैविक कीटनाशक और जीवाणु उपयोग किए जाते हैं। जैविक खेती न केवल फसल की गुणवत्ता में सुधार करती है बल्कि मिट्टी की संरचना और स्वास्थ्य को भी बनाए रखती है। भारत में जैविक खेती का प्रसार धीरे-धीरे बढ़ रहा है, और यह उपभोक्ताओं में बढ़ती जैविक उत्पादों की मांग को पूरा करने में मदद कर रही है।

4. कृषि ड्रोन और उपग्रह निगरानी

ड्रोन और उपग्रह तकनीक का उपयोग खेती में तेजी से बढ़ रहा है। ड्रोन का उपयोग फसल की निगरानी, कीट प्रबंधन, और फसल बीमा के लिए किया जाता है। यह तकनीक किसानों को वास्तविक समय में फसल की स्थिति की जानकारी प्रदान करती है, जिससे वे तुरंत आवश्यक कार्रवाई कर सकते हैं। उपग्रह निगरानी के माध्यम से, बड़े क्षेत्र में फसल की वृद्धि और समस्याओं का अवलोकन किया जा सकता है, जो व्यापक खेती के लिए महत्वपूर्ण है।

5. हाइड्रोपोनिक्स और एक्वापोनिक्स

हाइड्रोपोनिक्स और एक्वापोनिक्स दो अत्याधुनिक तकनीकें हैं जो मृदा रहित खेती की अनुमति देती हैं। हाइड्रोपोनिक्स में, पौधे पोषक तत्वों से भरपूर जल में उगाए जाते हैं, जबकि एक्वापोनिक्स में मछलियों और पौधों की सहजीवी प्रणाली का उपयोग किया जाता है। इन तकनीकों से पौधों को आवश्यक पोषक तत्व सीधे जल में मिलते हैं, जिससे फसल की वृद्धि तेज होती है। यह विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में उपयोगी है जहां भूमि की कमी होती है।

6. कृषि सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT)

सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) का उपयोग कृषि क्षेत्र में क्रांति ला रहा है। किसान मोबाइल ऐप, वेब पोर्टल, और SMS सेवाओं के माध्यम से मौसम पूर्वानुमान, बाजार की जानकारी, कृषि विशेषज्ञों की सलाह, और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह तकनीक किसानों को समय पर जानकारी प्राप्त करने और अपनी खेती की प्रक्रियाओं को अनुकूलित करने में मदद करती है।

7. जीनोम एडिटिंग और बायोटेक्नोलॉजी

बायोटेक्नोलॉजी और जीनोम एडिटिंग का उपयोग फसलों की गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार के लिए किया जा रहा है। जीनोम एडिटिंग तकनीक के माध्यम से, पौधों की आनुवंशिक संरचना में बदलाव किया जाता है ताकि वे अधिक उत्पादनशील, कीट-प्रतिरोधी और पोषक तत्वों से भरपूर हों। बायोटेक्नोलॉजी का उपयोग पौधों की बायोटिक और एबायोटिक तनावों से निपटने के लिए भी किया जा रहा है।

8. सौर ऊर्जा और हरित कृषि

सौर ऊर्जा का उपयोग कृषि में सिंचाई, विद्युत पंप, और कोल्ड स्टोरेज के लिए किया जा रहा है। यह न केवल ऊर्जा की बचत करता है, बल्कि पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है। हरित कृषि की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जहां पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण को प्राथमिकता दी जा रही है।


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Positive सार

भारत में खेती की आधुनिक तकनीकों का उपयोग किसानों के लिए एक नई दिशा और अवसर प्रदान कर रहा है। ये तकनीकें न केवल उत्पादन में वृद्धि कर रही हैं, बल्कि किसानों की आय और जीवन स्तर को भी सुधार रही हैं। सरकार और निजी क्षेत्र की साझेदारी से, इन तकनीकों का प्रसार तेजी से हो रहा है। हालांकि, इन तकनीकों का व्यापक उपयोग और लाभ प्राप्त करने के लिए, किसानों को तकनीकी ज्ञान और संसाधनों की उपलब्धता की आवश्यकता है। सही दिशा में आगे बढ़ते हुए, भारतीय कृषि आने वाले वर्षों में और अधिक समृद्ध और टिकाऊ हो सकती है।

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Rishita Diwan

Content Writer

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