Shakti 2024: भारत और फ्रांस की सेना मिलकर सैन्य अभ्यास ‘शक्ति 2024’ कर रहे हैं। मेघालय में होने वाला ये अभ्यास 13 मई से शुरू हुआ है जो 26 मई तक चलेगा। जानते हैं क्या होता है मिलिट्री अभ्यास और भारत कैसे शक्ति 2024 से ज्यादा ताकतवर बनकर उभर रहा है।
शक्ति 2024
मेघालय में हो रहे अभ्यास ‘शक्ति 2024’ का ये 7वां संस्करण है। भारत और फ्रांस की सेनाएं मेघालय के उमरोई क्षेत्र में इसे कर रही हैं। भारतीय सेना ने कहा है कि युद्धाभ्यास का मकसद दोनों देशों की संयुक्त सैन्य क्षमताओं को बल देना है। वहीं सेना ने ये भी कहा कि संयुक्त सैन्य अभ्यास से दोनों के सशस्त्र बलों के बीच अंतरसंचालनीयता, सौहार्दपूर्णता के साथ ही सभी जरूरी चीजों को विकसित करने में मदद होगी।
मिल रहा जरूरी प्रशिक्षण
भारतीय सेना की टुकड़ी का प्रतिनिधित्व तीन अधिकारियों, जिनमें तीन जूनियर कमीशंड अधिकारियों, गोरखा राइफल्स और सपोर्ट आर्म्स की एक बटालियन के 37 सैनिकों की एक संयुक्त टीम के द्वारा किया जा रहा है। सैन्य टुकड़ियों को युद्ध कंडीशनिंग और सामरिक प्रशिक्षण की गति से भी रूबरू करवाया जा रहा है, जिसमें फायरिंग अभ्यास और ‘बैटल हार्डनिंग’ सेशन शामिल थे। यह सैन्य अभ्यास दो चरणों में हो रही है।
कब से कब तक?
भारतीय और फ्रांसीसी सेनाओं के बीच द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास को ‘शक्ति’ नाम दिया गया है। पहली बार ये मिलिट्री प्रैक्टिस साल 2011 में शुरू किया गया था। फ्रांस और भारत दोनों देशों ने मिलकर संयुक्त अभ्यास के छह एडिशन पूरे कर लिए हैं। इसका उद्देश्य दोनों देशों की सेनाओं को एक-दूसरे की परिचालन प्रक्रियाओं और युद्ध अभ्यासों से इंट्रोड्यूज करवाना है। यह विशेष रूप से आतंकवाद विरोधी अभियानों पर सेंट्रलाइज्ड है। साथ ही सुरक्षा सहयोग भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी के प्रमुख कारकों में से एक है।
शक्ति के पिछले 6 संस्करण
- 2011 शक्ति चौबटिया (उत्तराखंड), भारत
- 2013 शक्ति जोधपुर (राजस्थान), भारत
- 2016 शक्ति बीकानेर, राजस्थान
- 2018 शक्ति मैली-ले-कैंप, फ्रांस
- 2019 शक्ति राजस्थान, भारत
- 2021 शक्ति ड्रैगुइग्नान, फ्रांस
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अभ्यास से क्या सीखने को मिलेगा?
शक्ति 2024 (Shakti 2024) में भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना के सैनिक शामिल हुए हैं। 90 सैनिकों वाली फ्रांसीसी टुकड़ी को 13वीं फॉरेन लीजन हाफ-ब्रिगेड लीड कर रही है। संयुक्त सैन्य अभ्यास पहाड़ी इलाकों में होता है। सैन्य अभ्यास में क्षेत्र पर कब्जा करना, आतंकवादी कार्रवाई के लिए जवाब देना, संयुक्त कमांड पोस्ट की स्थापना, खुफिया और निगरानी केंद्र को स्थापित करना और एक हेलीपैड / लैंडिंग साइट की सुरक्षा, हेलिबॉर्न ऑपरेशन, घेरा और तलाशी अभियान के साथ ही ड्रोन और काउंटर ड्रोन सिस्टम का उपयोग भी होता है।