Benefits of maize farming: मक्का काफी रिच सोर्स ऑफ न्यूट्रिशियन माना जाता है। इसे दुनियाभर में खाद्यान्न फसलों की रानी भी कहते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इसका प्रोडक्शन दूसरे खाद्यान्न फसलों में सबसे ज्यादा होता है। मक्का (Maize) को खाने के साथ कुक्कुट आहार, पशु आहार, शराब और स्टार्च के रूप में यूज किया जाता है। भारत के परिपेक्ष्य में कहें तो यहां पर मक्के से 1000 से ज्यादा उत्पाद तैयार किए जाते हैं। यही वजह है कि मक्के की खेती दूसरे फसलों की तुलना में ज्यादा फायदेमंद होते है। किसान आजकल नई तकनीकों से मक्के की खेती कर कई गुना ज्यादा लाभ कमा रहे हैं। जानते हैं कैसे मक्का किसानों के लिए कमाई का जरिया बन रहा है।
न्यूनतम कितनी कमाई?
मक्का की खेती करके किसान प्रति हेक्टेयर 68 हजार रुपये तक शुद्ध आय हासिल कर सकता है। जबकि धान की खेती करके किसान प्रति हेक्टेयर सिर्फ 35 हजार रुपये ही कमा सकता है। मक्के की खेती वैसे तो पूरे साल की जाती है लेकिन पानी की उपलब्धता के अनुसार किसान अपने क्षेत्रों में इसकी खेती करते हैं। मक्का मुख्य तौर पर यह खरीफ फसल होती है।
मक्के से कमाई की वजह
खरीफ मौसम में मक्के की खेती से फसल चक्र सुधारने में मदद मिलती है। इसके साथ ही इससे किसान अधिक मुनाफा भी कमाता है। ये यह एक ऐसी फसल है जो कम बारिश में भी पककर तैयार हो जाती है। अगर धान की खेती में उत्पादन थोड़ा कम भी होता है तो इससे भारपाई की जा सकती है।
मक्के की खेती के फायदे
- मक्के की खेती में दूसरे फसल के मुताबिक कम पानी की जरूरत होती है।
- मक्के का विकास चक्र धान की तुलना में काफी कम है। इससे भी किसानों को अपनी फसल तेजी से काटने और बेचने में सुविधा मिल जाती है।
- मक्के के फसल चक्र के लाभ की बात करें तो खरीफ मक्के को गेहूं का दालों जैसी दूसरे फसलों के साथ उगाया जा सकता है। इससे मिट्टी की उर्रवरकता में सुधार होता है और कीट और बीमारियों का प्रकोप कम हो जाता है।
- खरीफ मक्के का औसत उपज 50-55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक जाता है जबकि धान सिर्फ 35-40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक ही होती है।
- खरीफ सीजन के मकई की खेती में कीट का प्रकोप न के बराबर होते है, इससे कीट प्रबंधन की लागत खत्म या कम हो जाती है।
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Positive सार
मक्के के फायदे (Benefits of maize farming) की बात करें तो इसे पीला सोना भी कहते हैं। एक हेक्टेयर में मक्का की खेती से किसानों को 1.50 लाख रुपये से ज्यादा का लाभ मिल सकता है। ये जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत मक्के की बुवाई के लिए जरूरी होता है।